नई दिल्ली।
विकासशील समाज अध्ययन केंद्र (CSDS) के प्रमुख चुनाव विश्लेषक संजय कुमार द्वारा महाराष्ट्र के विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या में कथित असमानताओं को लेकर किए गए ट्वीट्स पर माफी मांगने के बाद राजनीतिक हलकों में विवाद तेज हो गया है। उन्होंने स्वीकार किया कि आंकड़ों की तुलना में त्रुटि हुई, जिसके बाद उन्होंने अपने पोस्ट्स हटाते हुए सार्वजनिक रूप से खेद जताया।
संजय कुमार ने हटाए ट्वीट, मांगी माफी
संजय कुमार ने अपने आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर लिखा, “महाराष्ट्र चुनाव से जुड़े कुछ आंकड़ों को लेकर मेरे द्वारा साझा किए गए ट्वीट्स में त्रुटि हुई। 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के डेटा की तुलना करते समय डेटा टीम से गलती हुई, जिसे मैं स्वीकार करता हूं। मेरा उद्देश्य गलत जानकारी फैलाना नहीं था। मैंने सभी ट्वीट्स हटा दिए हैं और माफी मांगता हूं।”
विवाद की पृष्ठभूमि
संजय कुमार ने पहले दावा किया था कि महाराष्ट्र के नासिक पश्चिम और हिंगना विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या में क्रमशः 47% और 43% की असामान्य वृद्धि दर्ज की गई, जबकि रामटेक और देवलाली क्षेत्रों में 38% और 36% की गिरावट देखी गई। इन आंकड़ों के आधार पर कांग्रेस ने भाजपा और चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया था।
बीजेपी का पलटवार
बीजेपी ने इन आंकड़ों को कांग्रेस द्वारा चुनाव आयोग की छवि धूमिल करने की कोशिश बताया। पार्टी के आईटी प्रमुख अमित मालवीय ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा, “राहुल गांधी ने जिस संस्था का हवाला देकर आरोप लगाए, अब उसी संस्था ने अपने आंकड़ों को गलत बताया है। क्या कांग्रेस और राहुल गांधी अब माफी मांगेंगे? उन्होंने खुलेआम वास्तविक मतदाताओं को नकली बताया और चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए।”
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कांग्रेस की सफाई
कांग्रेस ने प्रतिक्रिया में कहा कि उसने CSDS के आंकड़ों को संदर्भ के रूप में लिया था, लेकिन अपने स्तर पर अलग से डेटा एकत्र कर उसे सत्यापित किया है। पार्टी का कहना है कि संजय कुमार की माफी से उनके आरोप पूरी तरह खारिज नहीं होते, बल्कि यह बताता है कि ऐसी विसंगतियों की स्वतंत्र जांच की जरूरत है।
चुनाव आयोग का बयान
चुनाव आयोग ने विपक्ष के ‘वोट चोरी’ संबंधी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि मतदाता सूची के अद्यतन कार्य एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत किए जाते हैं। आयोग ने राहुल गांधी को चुनौती दी है कि यदि वे अपने आरोपों पर कायम हैं, तो शपथपत्र के रूप में उन्हें दोहराएं, अन्यथा सार्वजनिक रूप से माफी मांगें।
निष्कर्ष
संजय कुमार की माफी ने राजनीतिक बहस को और गहरा कर दिया है। जहां एक ओर विपक्ष मतदाता सूची में अनियमितताओं की बात कर रहा है, वहीं सत्तारूढ़ भाजपा इसे एक झूठे नैरेटिव को स्थापित करने की साजिश बता रही है। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और भरोसे को केंद्र में ला दिया है।