चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर राजद का सवाल, मनोज झा बोले– अब सिर्फ बीजेपी को ही है भरोसा
बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) को लेकर उठे विवाद के बीच भारतीय चुनाव आयोग (ECI) की हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस पर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया है। राजद सांसद मनोज झा ने चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि अब आयोग पर सिर्फ भारतीय जनता पार्टी (BJP) को ही भरोसा रह गया है।
मनोज झा का बड़ा बयान
राजद सांसद ने कहा, “अगर प्रेस कॉन्फ्रेंस के मंच पर भारत के चुनाव आयोग का बैनर न होता, तो यह तय करना मुश्किल था कि वह प्रेस कॉन्फ्रेंस मुख्य चुनाव आयुक्त ले रहे थे या फिर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर।”
उन्होंने दावा किया कि चुनाव आयोग ने विपक्ष के सवालों का कोई ठोस और पारदर्शी जवाब नहीं दिया।
SIR पर गरमाया माहौल
बिहार में Special Summary Revision (SIR) के तहत चल रहे मतदाता सूची अभियान को लेकर विपक्षी दलों ने वोटर डाटा में गड़बड़ी और धांधली के आरोप लगाए हैं। चुनाव आयोग ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इन आरोपों का खंडन किया, लेकिन विपक्ष इससे संतुष्ट नहीं है।
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‘ECI को सुकुमार सेन जैसा बनना चाहिए’
महाभियोग प्रस्ताव पर पूछे गए सवाल पर मनोज झा ने कहा,
“कुछ तो ऐसा होना चाहिए जिससे देश में यह संदेश जाए कि हमारा चुनाव आयोग किसी पड़ोसी देश जैसा नहीं, बल्कि फिर से सुकुमार सेन जैसा आदर्श बन सके।”
(गौरतलब है कि सुकुमार सेन भारत के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त थे, जिन्हें उनकी निष्पक्षता के लिए जाना जाता है।)
‘राहुल-तेजस्वी की यात्रा से ध्यान हटाने की कोशिश’
राजद नेता ने आरोप लगाया कि रविवार को चुनाव आयोग ने जानबूझकर प्रेस कॉन्फ्रेंस इसलिए की ताकि सासाराम में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की यात्रा से ध्यान हटाया जा सके। उन्होंने इसे “राजनीतिक दबाव में की गई कार्रवाई” बताया।
विपक्ष के सवालों से कतराया चुनाव आयोग?
मनोज झा ने कहा, “चुनाव आयोग ने हमारे किसी भी मुद्दे पर स्पष्ट जवाब नहीं दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस केवल औपचारिकता थी, जिससे कोई ठोस संदेश नहीं निकला। मतदाता अब खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे।”
सरकार चर्चा से भाग रही: विपक्ष
SIR को लेकर संसद में भी माहौल गर्म है। विपक्ष जहां चर्चा की मांग कर रहा है, वहीं सरकार इस पर संसद में खुलकर चर्चा करने को तैयार नहीं दिख रही।
राजद समेत INDIA गठबंधन के अन्य नेताओं का कहना है कि जब तक चुनाव आयोग जवाबदेह नहीं बनता, देश में चुनाव प्रणाली की निष्पक्षता पर सवाल उठते रहेंगे।
निष्कर्ष
राजनीतिक गलियारों में चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर बहस तेज हो गई है। एक तरफ चुनाव आयोग खुद को निष्पक्ष बताते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष उसे सत्ता के प्रभाव में काम करने वाला संस्थान बता रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा सियासी संघर्ष का बड़ा केंद्र बन सकता है।