हनुमानगढ़ में सीवर सफाई के दौरान बड़ा हादसा, जहरीली गैस की चपेट में आए तीन मजदूर, एक की मौत
हनुमानगढ़ जंक्शन में गुरुवार को नगर परिषद द्वारा कराए जा रहे सीवरेज सफाई कार्य के दौरान बड़ा हादसा हो गया। टाउन क्षेत्र के सोरगर मोहल्ला में चल रहे इस कार्य के दौरान तीन मजदूर जहरीली गैस की चपेट में आ गए। इस दर्दनाक हादसे में एक मजदूर की मौत हो गई, जबकि दो अन्य की हालत गंभीर बनी हुई है। दोनों को बीकानेर रेफर किया गया है।
हादसा उस समय हुआ जब करन पुत्र मंगत सिंह सीवर में सफाई के लिए उतरे। कुछ ही देर में वह अंदर बेहोश हो गया। करन को बचाने के लिए सूरज पुत्र अशोक वाल्मीकि और कमलजीत भी सीवर में उतरे, लेकिन वे भी जहरीली गैस से अचेत हो गए। स्थानीय लोगों ने तुरंत प्रशासन को सूचना दी।
रेस्क्यू ऑपरेशन और प्रशासन की मौजूदगी
घटना की जानकारी मिलते ही भाजपा नेता अमित सहू मौके पर पहुंचे और प्रशासन को रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करने के निर्देश दिए। इसके बाद निर्दलीय विधायक गणेशराज बंसल, पूर्व सभापति सुमित रिणवा, जिला परिषद सदस्य मनीष मक्कासर और जंक्शन थाना प्रभारी लक्ष्मण सिंह राठौड़ भी घटनास्थल पर पहुंचे।
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तीनों मजदूरों को बाहर निकालकर जिला अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने करन को मृत घोषित कर दिया। सूरज और कमलजीत को गहन चिकित्सा कक्ष (ICU) में भर्ती किया गया, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर उन्हें बीकानेर रेफर कर दिया गया।
जांच के आदेश, नगर परिषद पर लापरवाही के आरोप
घटना के बाद नगर परिषद प्रशासक एडीएम उम्मेदीलाल मीणा और आयुक्त सुरेंद्र सिंह यादव मौके पर पहुंचे। एडीएम मीणा ने कहा कि प्राथमिक तौर पर यह लापरवाही का मामला नजर आता है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय लोगों ने भी नगर परिषद पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मजदूरों को बिना सुरक्षा उपकरणों के सीवर में उतारा गया। न तो ऑक्सीजन सिलेंडर थे और न ही कोई गैस डिटेक्शन या सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
ट्रॉमा सेंटर के बाहर धरना, परिजनों की मांगें
मृतक करन के परिजन ट्रॉमा सेंटर के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। परिजनों का कहना है कि यह एक प्रशासनिक लापरवाही है और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया जाए। साथ ही मृतक के परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की गई है।
धरने पर भाजपा जिलाध्यक्ष प्रमोद डेलू, भाजपा नेता अमित सहू, टाउन मंडल अध्यक्ष नितिन बंसल और आशीष पारिख पहुंचे और परिजनों से बातचीत कर उन्हें सांत्वना दी।
निष्कर्ष
यह हादसा फिर से यह सवाल खड़ा करता है कि आखिर नगर निकायों में मजदूरों की सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीरता है। बिना किसी सुरक्षा के मजदूरों को सीवर में उतारना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या ठोस कार्रवाई करता है।