जयपुर। राजस्थान में पंचायत और शहरी निकाय चुनावों को दिसंबर में कराने को लेकर संशय गहराता जा रहा है। राज्य सरकार के मंत्रियों ने हाल ही में दावा किया था कि परिसीमन का कार्य पूरा कर दिसंबर तक चुनाव हो जाएंगे, लेकिन ज़मीनी हकीकत अलग है। ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) सीटों के निर्धारण के लिए गठित स्वतंत्र आयोग अभी तक सर्वे शुरू ही नहीं कर पाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दो अलग-अलग मामलों में स्पष्ट निर्देश दिया था कि पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों में ओबीसी आरक्षण के लिए स्वतंत्र आयोग का गठन कर सीटों का निर्धारण किया जाए। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश जैसे कई राज्यों में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन राजस्थान में आयोग का गठन होने के तीन महीने बाद भी इसका काम शुरू नहीं हो पाया है।
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आयोग अध्यक्ष पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश मदन लाल भाटी और सदस्यों का दर्जा एवं मानदेय अभी तक तय नहीं हुआ है। बजट और बुनियादी संसाधनों की कमी के कारण सर्वे का फॉर्मेट बनने के बावजूद फील्ड कार्य शुरू नहीं हो सका है। आयोग को इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान परिसर में कार्यालय मिला है, लेकिन आवश्यक फर्नीचर और स्टेशनरी जैसी सुविधाओं का अभाव है।