

32 अरब की ठगी: देशभर में फैले रैकेट का खुलासा, दो फर्मों पर छापेमारी
देशभर में 32 अरब रुपये की ठगी करने वाले एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। इस हाई-प्रोफाइल मामले में स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने दिल्ली और भोपाल स्थित दो पेमेंट एग्रीगेटर कंपनियों — रेनेट और काइनेट — के दफ्तरों पर छापेमारी की है। यह कार्रवाई देर रात तक चली और इसमें कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
इस रैकेट का संचालन दुबई से किया जा रहा था, जहां से पूरे देश में हजारों लोगों को ठगी का शिकार बनाया गया। दोनों फर्में इस नेटवर्क के लिए बिचौलिए की भूमिका निभा रही थीं — यानि ठगी की रकम पहले इन फर्मों के खातों में आती थी, फिर वहां से कमीशन काटकर बाकी पैसा आगे भेजा जाता था।
500 करोड़ से ज्यादा की रकम इन फर्मों से ट्रांसफर
सूत्रों के अनुसार, अब तक की जांच में यह सामने आया है कि केवल इन दो फर्मों के जरिए ही 500 करोड़ रुपये से अधिक की रकम अलग-अलग खातों में भेजी गई। सभी ट्रांजेक्शन की जांच की जा रही है ताकि इस पूरे नेटवर्क का पूरा खाका तैयार किया जा सके।
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आरबीआई से नहीं मिली मान्यता
जब एसटीएफ ने इन फर्मों से उनके परिचालन से जुड़े दस्तावेज मांगे, तो कर्मचारियों ने खुद को “अधिकृत पेमेंट एग्रीगेटर” बताया। लेकिन जब आरबीआई से इन फर्मों की स्थिति की जानकारी मांगी गई, तो पता चला कि ये दोनों ही फर्में भारतीय रिजर्व बैंक में पंजीकृत नहीं हैं।

चाइनीज लोन ऐप और कार्ड फ्रॉड का भी कनेक्शन
जांच में सामने आया कि इन कंपनियों के माध्यम से न सिर्फ ठगी की रकम भेजी जा रही थी, बल्कि कई चाइनीज लोन ऐप्स और ऑनलाइन क्रेडिट कार्ड फ्रॉड से जुड़ा पैसा भी इन्हीं फर्मों के खातों में ट्रांसफर किया गया।
पेमेंट एग्रीगेटर फर्में आमतौर पर ऑनलाइन पेमेंट को प्रोसेस करने वाली थर्ड पार्टी होती हैं, जो व्यवसायों को ग्राहकों से डिजिटल भुगतान लेने में मदद करती हैं। लेकिन इस मामले में इनका इस्तेमाल अवैध रूप से ठगी के पैसों को ठिकाने लगाने के लिए किया गया।
अब एसटीएफ इस पूरे मामले में शामिल अन्य लोगों और संस्थानों की तलाश में जुट गई है। जांच जारी है और आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे होने की संभावना है।