

स्वच्छता रैंकिंग में बीकानेर की छलांग, जोधपुर और कोटा को पछाड़ा
बीकानेर ने 2024 के स्वच्छता सर्वेक्षण में ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए पहली बार देशभर में अपनी पहचान बनाई है। इस बार बीकानेर ने स्वच्छता रैंकिंग में लंबी छलांग लगाते हुए राजस्थान में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। सार्वजनिक फीडबैक श्रेणी में बीकानेर पूरे प्रदेश में शीर्ष पर रहा।
देश में 48वीं रैंक, प्रदेश में दूसरा स्थान
स्वच्छता सर्वेक्षण में 3 से 10 लाख की आबादी वाले देश के 101 शहरों में बीकानेर ने 48वीं रैंक हासिल की है। राजस्थान के इसी वर्ग के 13 नगर निगमों में बीकानेर अब पांचवें स्थान पर आ गया है, जोधपुर और कोटा जैसे बड़े शहरों को पीछे छोड़ते हुए। इससे पहले 2023 की रैंकिंग में बीकानेर को देशभर में 342वीं रैंक मिली थी।
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क्या बदला इस बार?
बीकानेर नगर निगम ने इस बार सर्वेक्षण के सभी मापदंडों पर काम किया। टॉयलेट की सफाई, रंग-रोगन, साइन बोर्ड की स्थापना, स्कूलों में सेनेट्री पैड डिस्पोजल मशीनें और वेस्ट मैनेजमेंट पर विशेष ध्यान दिया गया। घर-घर सूखा और गीला कचरा अलग-अलग इकट्ठा किया गया, कंपोस्ट पिट बनाई गईं और अपशिष्ट से उत्पाद तैयार कर जरूरतमंदों को वितरित किए गए।
डेटा फीडिंग और जमीनी काम ने दिलाए अंक
इस बार निगम ने समय पर सभी आवश्यक डेटा फीड किया, जिससे तकनीकी आधार पर अंक मिल सके। कई बार पूर्व वर्षों में यह लापरवाही रैंकिंग में गिरावट का कारण बनी थी। साफ-सफाई के साथ-साथ प्रयासों को दिखाने में भी नगर निगम सफल रहा।

सड़कें और ड्रेनेज बना चिंता का विषय
हालांकि शहर की हालत अभी भी पूरी तरह सुधरी नहीं है। सड़कें जगह-जगह खुदी हुई हैं और ड्रेनेज व्यवस्था बेहद खराब है। थोड़ी सी बारिश में शहर के कई हिस्से तालाब में तब्दील हो जाते हैं। ऐसे में जब रैंकिंग आई, तो कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाए कि जिस शहर में चलने को सड़क नहीं, वहां स्वच्छता रैंकिंग का क्या मतलब?
जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया
एक ओर जहां निगम ने इस रैंकिंग को उपलब्धि बताया, वहीं आम नागरिकों ने इसे ‘दिखावटी सुधार’ करार दिया। लोगों का मानना है कि जमीनी सच्चाई बदले बिना किसी भी रैंकिंग का कोई वास्तविक मायना नहीं है।
निगम के सामने अगली चुनौती
रैंकिंग में सुधार के बाद अब नगर निगम के सामने सबसे बड़ी चुनौती है—सड़कों और ड्रेनेज जैसी मूलभूत समस्याओं का समाधान करना। यदि बीकानेर को स्थायी रूप से स्वच्छ और रहने योग्य शहरों की सूची में शामिल करना है, तो केवल सर्वेक्षण के लिए काम करना काफी नहीं होगा, बल्कि आम नागरिकों के अनुभव भी बेहतर करने होंगे।