

जस्टिस वर्मा की मुश्किलें बढ़ीं, सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया की सिफारिश के बाद अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास में आग लगने की घटना के बाद करीब 15 करोड़ रुपये की नकदी बरामद हुई थी। इस गंभीर मामले को लेकर बनी तीन सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है, जिसके आधार पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने उनके खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की है।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में जांच समिति की प्रक्रिया और सिफारिश को असंवैधानिक बताया है। उनका कहना है कि उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया और बिना समुचित सुनवाई के उनके खिलाफ रिपोर्ट तैयार कर दी गई। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यह सिफारिश न्यायिक स्वतंत्रता और संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है।
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महाभियोग की आशंका
यह याचिका ऐसे समय पर दाखिल की गई है जब संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो रहा है। माना जा रहा है कि इसी सत्र में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। इससे पहले ही जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में यह कानूनी लड़ाई शुरू कर दी है।

कैश बरामदगी और स्थानांतरण
14 मार्च को उनके सरकारी बंगले में आग लगने की खबर पर फायर ब्रिगेड पहुंची थी, जहां भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिली। बाद में वहां से करीब 15 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए। इस घटना के बाद देशभर में बवाल मच गया और जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से स्थानांतरित कर इलाहाबाद हाई कोर्ट भेज दिया गया।
जस्टिस वर्मा का प्रोफाइल
जस्टिस वर्मा मूल रूप से इलाहाबाद से हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बीकॉम और रीवा यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई की। 1992 में वकालत शुरू करने के बाद 2014 में उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट का अतिरिक्त जज बनाया गया। वर्ष 2016 में वे स्थायी जज बने और 2021 में दिल्ली हाई कोर्ट में स्थानांतरित कर दिए गए। अब एक बार फिर से वे इलाहाबाद हाई कोर्ट में कार्यरत हैं।