

राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में रेल नेटवर्क को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी पहल सामने आई है। भारतीय रेलवे ने खाजूवाला से जैसलमेर तक लगभग 260 किलोमीटर लंबी प्रस्तावित रेल लाइन के लिए फाइनल लोकेशन सर्वे की मंजूरी दे दी है। इस सर्वे के लिए 6.50 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हुआ है। यह परियोजना सामरिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से बेहद अहम मानी जा रही है।
सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और खाजूवाला विधायक डॉ. विश्वनाथ मेघवाल लंबे समय से इस परियोजना की वकालत कर रहे थे। उनका मानना है कि यह रेल लाइन सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना और सुरक्षा बलों की तेज़ आवाजाही के साथ-साथ उद्योग और रोजगार के नए अवसर भी खोलेगी।
किन जिलों को मिलेगा लाभ
इस रेल लाइन के बनने से बीकानेर, श्रीगंगानगर, बाड़मेर और जैसलमेर जिलों को सीधा लाभ मिलेगा। खाजूवाला, अनूपगढ़ और छतरगढ़ जैसे कस्बों में आज तक रेल सेवा नहीं पहुंच पाई है, ऐसे में यह परियोजना ग्रामीणों को सीधी कनेक्टिविटी देने का काम करेगी। अब इन क्षेत्रों से रामदेवरा, जैसलमेर और भुज तक रेल से पहुंचना आसान होगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान
हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमाओं पर सुरक्षा संसाधनों की गति प्राथमिकता बन चुकी है। ऐसे में यह रेल लाइन सामरिक दृष्टिकोण से न सिर्फ देश की सुरक्षा को और सुदृढ़ करेगी, बल्कि सीमांत क्षेत्रों में जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम होगी।
- Advertisement -

पर्यटन और व्यापार को मिलेगा बढ़ावा
इस परियोजना से जैसलमेर जैसे पर्यटन स्थलों तक पहुंचना सुविधाजनक हो जाएगा, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। वहीं, किसान अपनी फसलें और व्यापारी अपना माल आसानी से देश के अन्य हिस्सों में भेज सकेंगे।
रेल नेटवर्क विस्तार में राजस्थान की नई भूमिका
बीकानेर से श्रीगंगानगर और अनूपगढ़ के बाद अब खाजूवाला-जैसलमेर रेल खंड राजस्थान के रेल नक्शे में एक अहम विस्तार जोड़ने जा रहा है। यह न केवल सीमाओं को जोड़ेगा, बल्कि प्रदेश की आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा स्थिति को भी सुदृढ़ बनाएगा।