


SI भर्ती रद्द नहीं होने पर बवाल, बेनीवाल करेंगे दिल्ली कूच; बुलाई आपात बैठक
राजस्थान की राजनीति में सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती परीक्षा 2021 को लेकर एक बार फिर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के प्रमुख और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस भर्ती में पेपर लीक और व्यापक धांधली का आरोप लगाते हुए सरकार के रवैये पर सवाल खड़े किए हैं।
भजनलाल सरकार पर सीधा हमला
बेनीवाल ने कहा कि विशेष जांच एजेंसियों, पुलिस मुख्यालय और यहां तक कि कैबिनेट उप-समिति ने भी SI भर्ती में अनियमितताओं की बात मानी थी और इसे रद्द करने की सिफारिश की थी। इसके बावजूद सरकार ने भर्ती को रद्द नहीं किया, जो बेहद संदिग्ध है।
दिल्ली कूच की घोषणा
मंगलवार को मीडिया से बातचीत में हनुमान बेनीवाल ने कहा कि वह जल्द ही हजारों समर्थकों के साथ दिल्ली कूच करेंगे। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री से मुलाकात का समय नहीं मिलने पर यह फैसला लिया गया है।
उन्होंने कहा, “हमारी रणनीति पूरी तरह सुनियोजित होगी और तारीख का ऐलान पहले नहीं किया जाएगा, जिससे सरकार को पहले से तैयारी का मौका न मिले।”
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आपात बैठक बुलाई गई
दिल्ली कूच की रूपरेखा तय करने के लिए बुधवार को जयपुर में RLP मुख्यालय पर आपात बैठक बुलाई गई है। बैठक में आंदोलन की अगली रणनीति और तारीख तय की जाएगी।

सरकार पर ‘दोगली नीति’ का आरोप
बेनीवाल ने कहा कि पहले भर्ती को रद्द करने की सिफारिश करने वाले अब चुप क्यों हैं? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कैबिनेट उप-समिति के सदस्य निजी स्वार्थ और राजनीतिक द्वेष के चलते निष्पक्षता से काम नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “जोगाराम पटेल की पोती नकल करते पकड़ी गई थी और जवाहर सिंह बेढ़म के दामाद को दिल्ली पुलिस तलाश रही है।”
युवाओं से की आंदोलन में भागीदारी की अपील
बेनीवाल ने युवाओं से आह्वान किया कि वे इस आंदोलन में जुड़ें क्योंकि यह केवल एक भर्ती परीक्षा का मामला नहीं है, बल्कि युवाओं के भविष्य और व्यवस्था की पारदर्शिता का सवाल है।
धरने और रैलियों का सिलसिला जारी
गौरतलब है कि हनुमान बेनीवाल पिछले दो महीनों से जयपुर के शहीद स्मारक पर धरने पर बैठे हैं और उन्होंने बीते माह मानसरोवर में एक बड़ी रैली भी की थी।
निष्कर्ष
अब देखना यह होगा कि दिल्ली कूच की घोषणा के बाद यह मामला किस दिशा में जाता है और राज्य सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है। विपक्ष इसे युवाओं के साथ न्याय का मुद्दा बना रहा है, वहीं सरकार की चुप्पी और नीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं।