


राजस्थान SI भर्ती पर हाईकोर्ट का फैसला अब 7 जुलाई को
राजस्थान सरकार ने वर्ष 2021 की पुलिस उपनिरीक्षक (SI) भर्ती को रद्द नहीं करने का निर्णय लिया है। यह फैसला मंत्रिमंडलीय उपसमिति की सिफारिशों के आधार पर लिया गया। अब इस मामले में अंतिम निर्णय राजस्थान हाईकोर्ट लेगा, जिसकी सुनवाई 7 जुलाई को निर्धारित की गई है।
सरकार का पक्ष:
राजस्थान सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए कहा कि 28 जून को मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने SIT, कार्मिक विभाग, गृह विभाग और सांख्यिकी विभाग की रिपोर्टों का अध्ययन किया और भर्ती को रद्द न करने की सिफारिश की। अदालत ने इस निर्णय को रिकॉर्ड पर लेते हुए कहा कि इच्छुक पक्षकार अंतिम बहस में अपना पक्ष रख सकते हैं।
याचिकाकर्ताओं की आपत्ति:
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेजर आर पी सिंह व अधिवक्ता हरेन्द्र नील ने दलील दी कि सरकार ने उपसमिति की रिपोर्ट का गलत इस्तेमाल किया है। एक ही उपसमिति ने पहले भर्ती रद्द करने और अब उसे बनाए रखने की सिफारिश की है, जिससे यह मामला न्यायिक समीक्षा योग्य बनता है।
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SI भर्ती की स्थिति एक नजर में:
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कुल चयनित अभ्यर्थी: 859
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गिरफ्तार प्रशिक्षु थानेदार: 52
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अतिरिक्त गिरफ्तार चयनित अभ्यर्थी: 6
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पेपरलीक गिरोह के गिरफ्तार सदस्य: 54
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फरार प्रशिक्षु थानेदार: 9
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संदिग्ध भूमिका में प्रशिक्षु थानेदार: लगभग 300
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गिरफ्तार RPSC के सदस्य (वर्तमान व पूर्व): 2
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यूनिक भांभू और सुरेश ढाका विदेश भागे, कई आरोपी भूमिगत
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हरियाणा की गैंग भी संलिप्त, अब तक गिरफ्त से बाहर
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जमानत पर छूटे थानेदार: 41
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जिला पुलिस लाइनों में भेजे गए थानेदार: 576
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अब तक बर्खास्त थानेदार: 49
उपसमिति की प्रमुख सिफारिशें:
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SIT की जांच जारी रखी जाए
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दोषी पाए गए चयनित अभ्यर्थियों की सेवा समाप्त की जाए
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भविष्य की भर्तियों से दोषी अभ्यर्थियों को डीबार किया जाए
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भर्ती रद्द करना फिलहाल उचित नहीं है, यह निर्णय अभी समय से पहले होगा
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आगामी भर्ती में शामिल अभ्यर्थियों को आयु में छूट दी जाए
राजनीतिक और सामाजिक असर:
SI भर्ती को लेकर सियासी गर्मी बनी हुई है। सबसे पहले कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने इसकी रद्दीकरण की मांग उठाई थी। इसके बाद सांसद हनुमान बेनीवाल ने आंदोलन का नेतृत्व किया, जो दो माह से जयपुर में धरने के रूप में जारी है। इसी मुद्दे को लेकर रैली का भी आयोजन किया गया।
चयनित अभ्यर्थियों का पक्ष:
वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर और अधिवक्ता तनवीर अहमद ने तर्क दिया कि भर्ती रद्द करने से निर्दोष अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा। चंद लोगों की गलती की सजा सभी को नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने याचिका को पुरानी रिपोर्ट्स पर आधारित बताते हुए अब इसे निरर्थक करार देने की मांग की।
अब सभी की निगाहें 7 जुलाई को होने वाली हाईकोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं, जो यह तय करेगी कि भर्ती रद्द होगी या जारी रहेगी।