बीकानेर में नशा मुक्ति दिवस पर खानापूर्ति बनी कार्रवाई, आठ दुकानों पर ही चालान
बीकानेर। विश्व नशा मुक्ति दिवस के अवसर पर बीकानेर में तंबाकू नियंत्रण को लेकर स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई महज औपचारिकता बनकर रह गई। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में खुलेआम तंबाकू लटकाकर बेची जा रही है, बावजूद इसके विभाग ने केवल आठ दुकानों पर कार्रवाई कर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा दी।
गुरुवार को सीएमएचओ डॉ. पुखराज साध के निर्देश पर बीकानेर जिला तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ की टीम ने गंगानगर चौराहे के पास कुछ दुकानों पर अभियान चलाया। यहां दुकानदारों को समझाइश दी गई कि वे तंबाकू उत्पादों को लटकाकर सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित न करें, क्योंकि यह नियमों के तहत अप्रत्यक्ष विज्ञापन की श्रेणी में आता है।
टीम ने इस दौरान आठ दुकानों पर चालान भी काटे और उपस्थित नागरिकों से तंबाकू न सेवन करने की अपील की। लेकिन इस अभियान की सीमित कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। क्या बीकानेर शहर में सिर्फ आठ दुकानों पर ही तंबाकू का अप्रत्यक्ष विज्ञापन हो रहा था? क्या विभाग केवल विशेष दिवस पर ही सक्रिय होगा?
- Advertisement -
स्वास्थ्य विभाग की इस कार्यवाही को लेकर यह सवाल उठ रहे हैं कि यदि तंबाकू नियंत्रण कानून को सही मायनों में लागू करना है, तो यह एकदिवसीय नहीं, नियमित प्रक्रिया होनी चाहिए। नियमों की आड़ में कभी-कभार कार्रवाई करना न केवल विभाग की गंभीरता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है, बल्कि इससे गलत संकेत भी जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि केवल समझाइश और चालान से तंबाकू पर प्रभावी रोक संभव नहीं है। इसके लिए निरंतर निगरानी, सख्त क्रियान्वयन और जनजागरूकता की आवश्यकता है। यदि स्वास्थ्य विभाग वाकई तंबाकू मुक्त समाज बनाना चाहता है, तो उसे औपचारिक कार्रवाई से आगे बढ़कर ठोस कदम उठाने होंगे।
इस तरह की सीमित कार्रवाई से न तो तंबाकू के प्रचार को रोका जा सकता है और न ही आमजन को इसके नुकसान के प्रति सचेत किया जा सकता है। यह समय है जब विभाग को दिखावटी कार्रवाई की बजाय वास्तविक और स्थायी समाधान की दिशा में पहल करनी चाहिए।