Khabar21
  • होम
  • बीकानेर
  • राजस्थान
  • देश-दुनिया
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • धार्मिक
  • करियर
  • खेल
Reading: जब कोर्ट में पेश हुईं इंदिरा गांधी और रद्द हुआ था प्रधानमंत्री का चुनाव
Share
Aa
Aa
Khabar21
  • होम
  • बीकानेर
  • राजस्थान
  • देश-दुनिया
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • धार्मिक
  • करियर
  • खेल
Search
  • होम
  • बीकानेर
  • राजस्थान
  • देश-दुनिया
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • धार्मिक
  • करियर
  • खेल
Follow US
Khabar21 > Blog > देश-दुनिया > जब कोर्ट में पेश हुईं इंदिरा गांधी और रद्द हुआ था प्रधानमंत्री का चुनाव
देश-दुनियाराजनीति

जब कोर्ट में पेश हुईं इंदिरा गांधी और रद्द हुआ था प्रधानमंत्री का चुनाव

editor
editor Published June 25, 2025
Last updated: 2025/06/25 at 11:52 AM
Share
SHARE
Chat on WhatsApp
Chat on WhatsApp
Share News

12 जून 1975: जब देश की सबसे ताकतवर नेता अदालत में कठघरे में बैठी

25 जून 1975 को भारत में आपातकाल लागू हुआ था। इसके पचास साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन इसका सूत्रपात दरअसल 12 जून 1975 को हुआ था, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का लोकसभा चुनाव रद्द कर दिया। यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में अभूतपूर्व क्षण था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जगमोहन लाल सिन्हा ने रायबरेली से कांग्रेस प्रत्याशी और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के नेता राज नारायण की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि इंदिरा गांधी का चुनाव शून्य घोषित किया जाता है और उन पर छह साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया जाता है।

यह पहला मौका था जब किसी सत्तारूढ़ प्रधानमंत्री को कोर्ट में कठघरे में खड़ा होना पड़ा। 18 और 19 मार्च 1975 को इंदिरा गांधी कोर्ट में पेश हुईं। जस्टिस सिन्हा ने उनके वकील एस.सी. खरे की उस मांग को खारिज कर दिया था जिसमें प्रधानमंत्री से बयान लेने के लिए आयोग गठित करने की अपील की गई थी। अदालत में उन्हें एक विशेष कुर्सी प्रदान की गई ताकि जज और प्रधानमंत्री आमने-सामने बैठ सकें।

- Advertisement -

इस केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट परिसर में भारी भीड़ जमा हो गई थी। राजीव गांधी, सोनिया गांधी, विपक्षी नेता मधु लिमये, श्याम नंदन मिश्र और रवि राय भी मौजूद थे।

इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसले के बाद पूरे देश में सियासी तूफान खड़ा हो गया। फैसले के बाद अदालत में कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया। वकील वी.एन. खरे ने हाथ से स्थगन आवेदन लिखा, जिसे न्यायमूर्ति सिन्हा ने स्वीकार करते हुए 20 दिनों के लिए फैसले पर रोक लगा दी।

इस दौरान कांग्रेस पार्टी ने फिर से इंदिरा गांधी को ही नेता चुना और सर्वोच्च न्यायालय में फैसले के खिलाफ अपील कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ‘सशर्त’ अंतरिम प्रधानमंत्री बने रहने की मोहलत दी, लेकिन संसद की कार्यवाही में भाग लेने या वोट देने की अनुमति नहीं थी। इससे पहले कि कोर्ट अंतिम फैसला सुनाता, इंदिरा गांधी ने 25 जून को आपातकाल घोषित कर दिया।

आपातकाल की घोषणा के पीछे क्या था कारण?
1971 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी ने राज नारायण को हराया था। हारने के बाद राज नारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग और धांधली के आरोप लगाए थे। यह मामला पहले जस्टिस विलियम ब्रूम के पास सूचीबद्ध हुआ, लेकिन उनके रिटायरमेंट के बाद यह केस जस्टिस बी.एन. लोकुर और फिर जस्टिस सिन्हा को सौंपा गया।

सुनवाई में दर्ज हुए थे कई बड़े नेताओं के बयान
12 फरवरी 1975 से सुनवाई में कई नामी हस्तियों के बयान दर्ज हुए। इंदिरा गांधी की ओर से तत्कालीन योजना आयोग उपाध्यक्ष पी.एन. हक्सर पेश हुए, जबकि राज नारायण की तरफ से लालकृष्ण आडवाणी, कर्पूरी ठाकुर और एस. निजलिंगप्पा ने गवाही दी।

वकीलों की प्रमुख भूमिका
इंदिरा गांधी का पक्ष एस.सी. खरे ने रखा। राज नारायण की ओर से शांति भूषण और आर.सी. श्रीवास्तव पैरवी कर रहे थे। राज्य सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल एस.एन. कक्कड़ और केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल नीरेन डे पेश हुए।

जस्टिस सिन्हा पर था दबाव, फिर भी दिया निष्पक्ष फैसला
प्रशांत भूषण ने अपनी किताब “द केस दैट शुक इंडिया” में लिखा है कि जस्टिस सिन्हा पर कई तरह के दबाव थे, लेकिन उन्होंने निष्पक्ष रूप से फैसला सुनाया। फैसले से पहले CID की एक विशेष टीम ने उनके स्टेनोग्राफर मन्ना लाल के घर तक दो बार छापा मारा।

जस्टिस सिन्हा ने खुद को फैसले से एक रात पहले घर में बंद कर लिया और लोगों से कहा कि वे उज्जैन अपने भाई से मिलने गए हैं। उन्होंने स्टेनो के लिए हाईकोर्ट बिल्डिंग से सटे बंगला नंबर 10 में रहने की व्यवस्था भी कर दी थी।

इमरजेंसी की घोषणा से पहले हुईं गिरफ्तारियां
25 जून 1975 की रात को आपातकाल लागू होते ही जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी सहित सैकड़ों विपक्षी नेता गिरफ्तार कर लिए गए। प्रेस की स्वतंत्रता खत्म कर दी गई और नागरिकों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए।

यह घटना सिर्फ एक चुनावी याचिका नहीं थी, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की नींव को चुनौती देने वाला क्षण बन गया, जिसने देश के इतिहास की दिशा बदल दी।


Share News
Chat on WhatsApp

editor June 25, 2025
Share this Article
Facebook TwitterEmail Print

Latest Post

कोटगेट क्षेत्र में दिनदहाड़े घर में लाखों की चोरी, बैंक लॉकर की चाबी भी ले गए
बीकानेर
राजस्थान में सहकारी समितियों को नया कानून देगा मजबूती
राजस्थान
मेडिकल छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म, जंगलराज पर विपक्ष का वार
देश-दुनिया
84 बिना वेरिफिकेशन रह रहे लोग पकड़े गए, सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
बीकानेर
बीकानेर केंद्रीय कारागृह में फेंकी गई निषिद्ध सामग्री, पुलिस ने अज्ञात पर मामला दर्ज किया
बीकानेर
बीकानेर में डॉक्टर से रंगदारी मांगने वाला मुख्य आरोपी विष्णु साध दबोचा गया
बीकानेर
नकाबपोशों ने डाली आंखों में मिर्ची, 2.80 लाख की लूट की जांच में नया मोड़
बीकानेर
दीपावली पर ट्रैफिक प्लान तैयार, बाजारों में वाहनों की नो एंट्री और विशेष पार्किंग व्यवस्था
बीकानेर

You Might Also Like

देश-दुनिया

मेडिकल छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म, जंगलराज पर विपक्ष का वार

Published October 11, 2025
देश-दुनिया

भारत के स्वर्ण भंडार में तेजी, विदेशी मुद्रा भंडार में मामूली गिरावट दर्ज

Published October 11, 2025
देश-दुनिया

Meta का नया फीचर: अब Reels होंगी आपकी भाषा में, क्रिएटर्स की बढ़ेगी ग्लोबल पहुंच

Published October 10, 2025
देश-दुनिया

क्या जेल में बंद कैदियों को मिलेगा मतदान का अधिकार? SC ने केंद्र को भेजा नोटिस

Published October 10, 2025
Khabar21
Follow US

© Copyright 2022, All Rights Reserved Khabar21 | Designed by Uddan Promotions Pvt. Ltd.

  • About Us
  • Contact
  • Privacy Policy
Join WhatsApp Group

Removed from reading list

Undo
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?