


बीकानेर: एक संभागीय शहर, फिर भी विकास से कोसों दूर
राजस्थान के प्रमुख संभागीय मुख्यालयों—जयपुर, जोधपुर, कोटा और अजमेर—ने बीते वर्षों में जबरदस्त तरक्की की है, लेकिन बीकानेर आज भी अधूरी योजनाओं, उपेक्षित विकास और रेंगती आधारभूत सुविधाओं के बीच सिसक रहा है।
जनसंख्या के दबाव, यातायात की बढ़ती चुनौती और प्रशासनिक जटिलताओं के बीच सबसे बड़ी समस्या बनकर सामने आता है बीकानेर शहर के मध्य से गुजरती रेलवे लाइन और उस पर बने रेल फाटक—खासकर कोटगेट फाटक।
शहर को दो हिस्सों में बांटता है कोटगेट फाटक
कोटगेट रेलवे फाटक न सिर्फ एक मार्ग है, बल्कि यह बीकानेर के दो हिस्सों को जोड़ने और तोड़ने का बिंदु बन गया है। हर दिन हजारों लोग इस रास्ते से नौकरी, व्यापार, चिकित्सा और शिक्षा के लिए गुजरते हैं। मगर बार-बार बंद होने वाला फाटक ना केवल जनता का समय और ईंधन बर्बाद करता है, बल्कि मानसिक तनाव भी बढ़ाता है।
रानीबाजार बना उम्मीद की किरण
बीते वर्षों में रानीबाजार फाटक पर बने अंडरपास ने इस समस्या का एक स्थायी समाधान प्रस्तुत किया। जहां शुरुआत में विरोध की आवाजें उठीं, वहीं अब यही ब्रिज जनता के लिए राहत का पर्याय बन गया है। इससे बीकानेरवासियों को उम्मीद जगी कि कोटगेट पर भी ऐसा ही समाधान सामने आएगा।
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अधूरी रह गई योजना, फाइलें गुम हो गईं
नगर विकास न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष मकसूद अहमद के कार्यकाल में कोटगेट अंडरपास का विस्तृत प्रस्ताव बना। मॉडल तैयार हुआ, बजट आवंटित हुआ और जन-सहमति भी मिली। मगर सरकार बदली, और उस योजना की फाइल भी जैसे अंधेरे में खो गई। आज तक कोई इस पर गंभीरता से आगे नहीं बढ़ा।

जनता की पुकार, प्रतिनिधियों की चुप्पी
कोटगेट अंडरपास की मांग अब फिर से तेज हो रही है। बीकानेर की जनता सांसद और केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल से अपील कर रही है कि वे इस मुद्दे को संसद और मंत्रालय में उठाएं। रेलवे लाइन शिफ्ट करना लंबी प्रक्रिया है, लेकिन अंडरपास एक त्वरित राहत का रास्ता हो सकता है।
बीकानेर पश्चिम के विधायक जेठानन्द व्यास से भी उम्मीद है कि वे इस प्रस्ताव को पुनर्जीवित करने के लिए मुख्यमंत्री से बात करें और जनता की वर्षों पुरानी मांग को पूरा करें।
निष्कर्ष
बीकानेर शहर विकास की दौड़ में अब और पीछे नहीं रह सकता। कोटगेट अंडरब्रिज केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि यह शहरवासियों के जीवन से जुड़ा सवाल बन चुका है। जो भी प्रतिनिधि इस दिशा में ठोस पहल करेगा, वह ना सिर्फ राजनीति में बल्कि जनता के दिलों में भी अपनी जगह बनाएगा।
अब समय है—रुकावटें हटाने का, बीकानेर को उसकी गति लौटाने का।