


भारत सहित कई देशों में कोरोना के नए सब-वैरिएंट NB.1.8.1 और LF.7 के मामलों में तेजी आई है। संक्रमण की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने NB.1.8.1 को ‘वैरिएंट ऑफ मॉनिटरिंग’ के रूप में वर्गीकृत किया है, जिससे इस पर विशेष ध्यान देने और निगरानी की आवश्यकता बढ़ गई है।
कोरोना महामारी दिसंबर 2019 से लेकर अब तक बनी हुई है। पिछले कुछ महीनों तक संक्रमण की गति नियंत्रित थी, लेकिन हाल ही में यह वायरस फिर सक्रिय हो गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, ओमिक्रॉन के नए सब-वैरिएंट्स NB.1.8.1 और LF.7 संक्रमण बढ़ाने में मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। यह वैरिएंट अधिक संक्रामक होने के साथ-साथ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी प्रभावित कर सकता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के कोविड डैशबोर्ड के मुताबिक, 27 मई तक देश में 1010 सक्रिय मामले हैं, जिसमें 19 मई से 753 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान छह लोगों की मौत भी हुई है। हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार, यह वैरिएंट गंभीर नहीं है और अधिकांश संक्रमित लोग घर पर ही ठीक हो रहे हैं।

पुणे स्थित अस्पताल में क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉक्टर उपेंद्र सिंह ने बताया कि NB.1.8.1 और LF.7 वैरिएंट्स से संक्रमित लोगों में लगातार खांसी, गले में खराश, सिरदर्द, थकान, भूख न लगना और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं देखी जा रही हैं। सांस लेने में तकलीफ या ऑक्सीजन की कमी जैसी गंभीर स्थिति अभी नहीं बनी है।
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WHO की ओर से जारी नए निर्देशों में इस वैरिएंट की लगातार निगरानी की सलाह दी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना आवश्यक है। भारत में सरकार और स्वास्थ्य विभाग स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।