


बीकानेर: विश्व की चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट ल्होत्से (8516 मीटर), नेपाल पर चढ़ाई के बाद लौटते समय भारतीय पर्वतारोही राकेश बिश्नोई की मृत्यु हो गई। राकेश राजस्थान के बीकानेर जिले से थे और उनका निधन कैंप-4 के पास स्थित ‘येलो बैंड’ नामक क्षेत्र में हुआ।
नेपाल में मौजूद पर्वतारोहण दल के अनुसार, राकेश ने रविवार को माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई का इरादा छोड़कर ल्होत्से की ओर रुख किया था। इस दौरान चोटी तक पहुंचने के बाद लौटते समय उनका निधन हो गया। इसी दिन रोमानिया के राष्ट्रीय टीवी के वीडियोग्राफर ज़ोल्ट वागो की भी ल्होत्से पर चढ़ाई करते समय मौत हो गई। मई माह में ही माउंट एवरेस्ट पर प्रयास करते समय एक फिलिपिनो और एक अन्य भारतीय पर्वतारोही की भी जान जा चुकी है।
राकेश बिश्नोई मूल रूप से बीकानेर के निवासी थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा क्षेत्र में रह रहे थे। उनका व्यवसाय सागवाड़ा के कराड़ा में स्थित है। उन्हें इस वर्ष 2 अप्रैल को डूंगरपुर के जिला कलेक्टर अंकित कुमार सिंह ने यात्रा के लिए रवाना किया था। शुरुआत में राकेश का लक्ष्य माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराना था, लेकिन बाद में उन्होंने माउंट ल्होत्से की चढ़ाई की।

राकेश बिश्नोई का सपना था कि वे सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर भारत का तिरंगा फहराएं। उन्होंने 40 से अधिक पर्वत चोटियों पर सफल चढ़ाई की थी। वर्ष 2023 में उन्होंने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर बिना गाइड के चढ़ाई करने वाले पहले भारतीय होने का गौरव प्राप्त किया था। इसके अलावा उन्होंने अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी पर दुनिया का सबसे लंबा 510 फीट का तिरंगा फहराने का भी रिकॉर्ड बनाया था।
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राकेश की यह उपलब्धियां देश के युवाओं के लिए प्रेरणा थीं। उनकी असमय मृत्यु पर्वतारोहण जगत के लिए एक बड़ी क्षति है।