


बीकानेर। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के संबंधों में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। इस तनाव का असर अब हवाई मार्गों पर भी दिखने लगा है। पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया है, जिससे भारत की प्रमुख एयरलाइन एयर इंडिया को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एयर इंडिया ने सरकार को भेजे गए पत्र में बताया है कि पाकिस्तानी एयरस्पेस के बंद रहने से उसे हर साल लगभग 591 मिलियन डॉलर यानी करीब 50 अरब रुपये तक का नुकसान हो सकता है। एयर इंडिया ने सरकार से आग्रह किया है कि जब तक हालात सामान्य नहीं होते, तब तक ईंधन खर्च और वैकल्पिक मार्ग से हो रहे घाटे की भरपाई के लिए सब्सिडी दी जाए।
एयरस्पेस बंद होने का सबसे ज्यादा असर यूरोप, अमेरिका और कनाडा जाने वाली उड़ानों पर पड़ा है, क्योंकि सामान्य स्थिति में ये उड़ानें पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से होकर गुजरती हैं। अब इन उड़ानों को लंबा और महंगा मार्ग अपनाना पड़ रहा है, जिससे उड़ानों की लागत और समय दोनों में बढ़ोतरी हो रही है।
इन देशों के लिए यात्रा सबसे अधिक प्रभावित हुई है:
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ब्रिटेन: लंदन, बर्मिंघम, मैनचेस्टर के लिए उड़ानें लंबी और महंगी हो गई हैं।
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जर्मनी: फ्रैंकफर्ट और म्यूनिख की उड़ानों को वैकल्पिक मार्ग अपनाना पड़ रहा है।
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फ्रांस: पेरिस की उड़ानों की अवधि में इज़ाफा हुआ है।
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नीदरलैंड्स: एम्स्टर्डम की उड़ानें प्रभावित हैं।
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स्विट्ज़रलैंड: ज्यूरिख और जिनेवा जाने वाली फ्लाइट्स में देरी हो रही है।
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कनाडा: टोरंटो और वैंकूवर के रूट अब लंबा हो गया है।
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संयुक्त राज्य अमेरिका: न्यूयॉर्क, शिकागो, सैन फ्रांसिस्को और वाशिंगटन डीसी की उड़ानों पर असर पड़ा है।
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इटली: रोम और मिलान की सीधी उड़ानों की लागत बढ़ी है।
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ऑस्ट्रिया: विएना जाने वाले यात्रियों को ज्यादा समय लग रहा है।
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स्पेन: मैड्रिड और बार्सिलोना की उड़ानों में अधिक ईंधन खपत हो रही है।
एयर इंडिया, जो वर्तमान में टाटा समूह के अंतर्गत संचालित हो रही है, पहले से ही बदलाव और विमान डिलीवरी में देरी की चुनौतियों से जूझ रही है। वर्ष 2023-24 में कंपनी को 520 मिलियन डॉलर का घाटा हो चुका है।
गौरतलब है कि पाकिस्तानी एयरस्पेस बंद होने से न केवल भारत की एयरलाइनों को घाटा हो रहा है, बल्कि पाकिस्तानी विमानन कंपनियों और यात्रियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही, तो इसका असर भारत की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की कनेक्टिविटी और एविएशन इंडस्ट्री पर और अधिक गहरा हो सकता है।