


आरटीई प्रवेश पर निजी स्कूलों का अड़ंगा, पहले फीस फिर दाखिला
जयपुर। शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए निजी स्कूलों में मुफ्त पढ़ाई की व्यवस्था तो शुरू की, लेकिन इसका वास्तविक लाभ अभी भी अभिभावकों को नहीं मिल रहा है।
लॉटरी में चयनित होने के बावजूद नर्सरी के बच्चों को कई निजी स्कूल आरटीई के तहत प्रवेश नहीं दे रहे हैं। स्कूल प्रशासन अभिभावकों से पहले फीस जमा करवाने की मांग कर रहा है, और यह वादा कर रहा है कि बाद में सरकार से भुगतान मिलने पर पैसे वापस कर दिए जाएंगे। कई जगहों पर तो अभिभावकों से लिखित एग्रीमेंट भी कराया जा रहा है, जिससे वे असहमत हैं।
विवाद की जड़
2023-24 सत्र में शिक्षा विभाग ने प्री-प्राइमरी और प्रथम कक्षा में आरटीई के तहत प्रवेश प्रक्रिया चलाई थी, लेकिन भुगतान सिर्फ प्रथम कक्षा के छात्रों के लिए तय किया। इस निर्णय का निजी स्कूलों ने विरोध किया था। विभाग के निर्देश और कार्रवाई की चेतावनी के बाद कुछ स्कूलों ने प्रवेश तो दे दिया, लेकिन अब वे फीस की मांग कर रहे हैं।
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2024-25 सत्र में भी यही स्थिति बनी रही। शिक्षा विभाग ने नर्सरी कक्षा के लिए फिर से आरटीई प्रवेश प्रक्रिया शुरू की, परंतु प्री-प्राइमरी कक्षा के लिए भुगतान की व्यवस्था नहीं की। इस कारण कई निजी स्कूल अब नर्सरी में प्रवेश से इनकार कर रहे हैं।
प्रमुख उदाहरण

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सोडाला निवासी राकेश बंसल के बेटे का चयन एक बड़े स्कूल में नर्सरी में हुआ। स्कूल ने स्पष्ट कर दिया कि सरकार से राशि नहीं मिलने पर प्रवेश नहीं होगा, फीस देनी पड़ेगी।
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सांगानेर निवासी वैभव गुप्ता की बेटी का चयन जगतपुरा के एक स्कूल में हुआ, लेकिन यहां भी फीस मांगकर प्रवेश देने से मना कर दिया गया।
क्या कहते हैं संबंधित पक्ष
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दिनेश कांवट, अध्यक्ष, पेरेंट्स वेलफेयर सोसायटी ने आरोप लगाया कि दो साल से आरटीई के नाम पर अभिभावकों के साथ छल किया जा रहा है। निजी स्कूल प्रवेश से पहले अवैध एग्रीमेंट करवा रहे हैं, जो शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन है।
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हेमलता शर्मा, अध्यक्ष, स्कूल क्रान्ति संघ ने बताया कि कोर्ट में मामला चल रहा है और हाईकोर्ट ने सरकार को नर्सरी का भुगतान करने के निर्देश भी दिए हैं, लेकिन अब तक भुगतान नहीं हुआ है।