


पहलगाम हमले पर गरजे पीएम मोदी, आतंकियों को सजा की चेतावनी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पंचायती राज दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर गहरा शोक व्यक्त किया और आतंकियों व उनके समर्थकों को स्पष्ट चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि यह हमला सिर्फ निहत्थे पर्यटकों पर नहीं, बल्कि भारत की आत्मा पर किया गया हमला है। अब समय आ गया है जब आतंकियों की बची-खुची जमीन को भी मिट्टी में मिला दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस हमले के पीड़ितों के साथ पूरा देश खड़ा है। उन्होंने भावुक होकर कहा कि 140 करोड़ भारतीयों की इच्छाशक्ति अब आतंक के आकाओं की कमर तोड़कर रख देगी। “जो भी इस हमले के पीछे हैं, उन्हें उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी और उन्हें पृथ्वी के अंतिम छोर तक खदेड़कर सजा दी जाएगी।”
पीड़ितों के प्रति संवेदना और एकजुटता का संदेश
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पीएम मोदी ने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मासूम देशवासियों को जिस बेरहमी से मारा गया, उससे पूरा देश आक्रोशित है। किसी ने अपना बेटा खोया, किसी ने भाई, किसी ने जीवनसाथी। ये सभी भारत के अलग-अलग हिस्सों से थे — कोई बंगाली था, कोई कन्नड़ बोलने वाला, कोई गुजराती और कोई बिहार का लाल। उन्होंने कहा कि करगिल से कन्याकुमारी तक हर नागरिक इस दुख में एकजुट है।
बिहार की धरती से आतंकियों को सख्त संदेश

पीएम मोदी ने कहा, “आज बिहार की धरती से मैं यह कहना चाहता हूं कि भारत इन आतंकियों की पहचान करेगा, उन्हें ढूंढेगा और सजा देकर रहेगा। आतंकवाद भारत की आत्मा को कभी नहीं तोड़ सकता। इंसाफ के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। दुनिया में जो इंसानियत के साथ खड़ा है, वह भारत के साथ है और हम उनके आभारी हैं।”
ललन सिंह ने पीएम का समर्थन किया
कार्यक्रम की शुरुआत में केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने भी पहलगाम हमले पर बोलते हुए कहा कि इस घटना से पूरा देश आहत है। उन्होंने प्रधानमंत्री पर विश्वास जताते हुए कहा कि देश जानता है कि आप समय पर आतंकियों को करारा जवाब देंगे।
सादगी से आयोजित हुआ कार्यक्रम
यह कार्यक्रम बेहद सादगी से आयोजित किया गया, ताकि पहलगाम हमले में मारे गए लोगों के प्रति सम्मान व्यक्त किया जा सके। तामझाम से परे इस आयोजन में बिहार के सभी केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक और अन्य प्रतिनिधि शामिल हुए। पीएम मोदी के आगमन पर सबने उनका स्वागत किया, लेकिन आयोजन की गंभीरता को देखते हुए कोई औपचारिक भव्यता नहीं रखी गई।