


पंजाब के चर्चित “यशु-यशु” वाले पादरी बजिंदर सिंह को मोहाली की एक अदालत ने 2018 के जीरकपुर रेप केस में उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि एक धार्मिक नेता के रूप में खुद को प्रस्तुत करने वाला व्यक्ति इस तरह का जघन्य अपराध नहीं कर सकता। इस फैसले से न केवल पीड़िता को न्याय मिला बल्कि उन लोगों को भी राहत मिली, जिन्होंने उनके खिलाफ आवाज उठाई थी।
क्या है 2018 का जीरकपुर रेप केस?
इस मामले की शुरुआत 2018 में हुई थी, जब एक महिला ने बजिंदर सिंह पर बलात्कार का आरोप लगाया। पीड़िता के अनुसार, बजिंदर ने उसे विदेश भेजने का झांसा देकर मोहाली स्थित अपने घर बुलाया और वहां उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके अलावा, उसने घटना का वीडियो बनाकर धमकाया कि अगर उसकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वह इसे सार्वजनिक कर देगा। डर के कारण पीड़िता लंबे समय तक चुप रही, लेकिन आखिरकार उसने अप्रैल 2018 में जीरकपुर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने बजिंदर के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 323 (चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया।
सात साल बाद आया फैसला
इस केस की सुनवाई सात साल तक चली, जिसमें कई बार बजिंदर को जमानत मिली। मार्च 2025 में मोहाली कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया, जिसके बाद उन्हें पटियाला जेल में रखा गया। 28 मार्च 2025 को अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया और 1 अप्रैल 2025 को उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई।
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कोर्ट का सख्त फैसला
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह ताउम्र कैद है, यानी बजिंदर को जीवनभर जेल में ही रहना होगा, बिना किसी राहत या पैरोल के। हालांकि, इस मामले में अन्य पांच आरोपी—पादरी जतिंदर, अकबर, सत्तार अली और संदीप पहलवान—को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।
पीड़िता की प्रतिक्रिया
फैसले के बाद पीड़िता ने कहा, “अगर बजिंदर जेल से बाहर आया, तो वह फिर वही अपराध करेगा। आज मुझे और कई लड़कियों को न्याय मिला है। मैं प्रशासन से हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील करती हूं, क्योंकि हमें खतरा है।”
पीड़िता ने यह भी बताया कि सुनवाई के दौरान उसे और उसके परिवार को कई बार धमकियां मिलीं और दबाव डाला गया कि वह अपना बयान वापस ले ले।

बजिंदर सिंह: विवादों से घिरा पादरी
42 वर्षीय बजिंदर सिंह हरियाणा के यमुनानगर जिले से हैं और पहले एक हिंदू जाट परिवार से ताल्लुक रखते थे। 2000 के दशक में हत्या के एक मामले में वह जेल गए, जहां उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया। 2012 में जेल से बाहर आने के बाद, उन्होंने “चर्च ऑफ ग्लोरी एंड विजडम” नाम से संस्था चलाई, जिसके पंजाब में कई केंद्र हैं।
उनके यूट्यूब चैनल “प्रोफेट बजिंदर सिंह” के लाखों सब्सक्राइबर हैं, जहां वे प्रार्थना सभाएं और कथित चमत्कारी उपचार लाइव प्रसारित करते थे।
पहले भी लगे हैं गंभीर आरोप
यह पहली बार नहीं है जब बजिंदर सिंह विवादों में आए हों। फरवरी 2025 में, कपूरथला की एक महिला ने उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया था। इसके अलावा, एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उन्हें एक महिला और पुरुष को थप्पड़ मारते और गाली देते देखा गया।
2022 में दिल्ली के एक परिवार ने भी उन पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। परिवार ने कहा कि बजिंदर ने उनकी बेटी की बीमारी ठीक करने का दावा कर पैसे लिए, लेकिन उनकी बेटी की मौत हो गई।
समर्थकों का विरोध, पुलिस का सख्त रुख
बजिंदर के समर्थकों ने कोर्ट परिसर में प्रदर्शन किया और उन पर लगे आरोपों को झूठा बताया। हालांकि, कोर्ट ने सभी सबूतों को ध्यान में रखते हुए उन्हें दोषी करार दिया।
पंजाब पुलिस ने पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए हैं ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोका जा सके।