


राजस्थान दिवस हर साल 30 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन राजस्थान के इतिहास में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 30 मार्च, 1949 को जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर की रियासतों का विलय कर ‘वृहत्तर राजस्थान संघ’ की स्थापना हुई थी। इस विलय में सरदार वल्लभ भाई पटेल की अहम भूमिका थी। आज़ादी से पहले यह क्षेत्र ‘राजपूताना’ के नाम से जाना जाता था, जिसे बाद में राजस्थान नाम मिला, जिसका अर्थ है ‘राजाओं का स्थान’।
6 शहरों में होंगे राज्य स्तरीय भव्य कार्यक्रम
इस वर्ष राजस्थान सरकार राज्य स्तरीय कार्यक्रमों को भव्य रूप से मना रही है। 6 प्रमुख शहरों – जयपुर, बाड़मेर, बीकानेर, भरतपुर, भीलवाड़ा और कोटा – में कुल 7 बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
राजस्थान दिवस कार्यक्रमों की रूपरेखा:
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25 मार्च – बाड़मेर: महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा राज्य स्तरीय महिला सम्मेलन
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26 मार्च – बीकानेर: कृषि विभाग द्वारा किसान सम्मेलन
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27 मार्च – भरतपुर: ग्रामीण विकास विभाग द्वारा गरीब एवं अंत्योदय कार्यक्रम
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28 मार्च – भीलवाड़ा: नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा सुशासन समारोह
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29 मार्च – कोटा: युवा एवं रोजगार उत्सव
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30 मार्च – जयपुर: अल्बर्ट हॉल में सांस्कृतिक कार्यक्रम
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31 मार्च – जयपुर: निवेश उत्सव (स्थान तय किया जाना बाकी)
जयपुर में विशेष आयोजन
राजस्थान स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में जयपुर के श्री जगत शिरोमणि मंदिर (आमेर), काले हनुमानजी मंदिर और श्री बृज निधि मंदिर (चांदनी चौक) में विशेष प्रार्थना और सांस्कृतिक भजन कार्यक्रम आयोजित किए गए।
इस बार से राजस्थान दिवस नव संवत्सर के दिन ही मनाने की परंपरा शुरू हो रही है, जिससे इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व और बढ़ गया है।