


बेंगलुरु: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने शनिवार को स्पष्ट रूप से कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा और सम्मान भारत की जिम्मेदारी है और हम इस कर्तव्य से पीछे नहीं हट सकते। बेंगलुरु में आयोजित अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (ABPS) में प्रेस वार्ता के दौरान संघ के संयुक्त महासचिव अरुण कुमार ने यह बयान दिया।
बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा पर RSS का रुख
अरुण कुमार ने स्पष्ट किया कि बांग्लादेश में हिंदुओं को शांति और खुशी से रहना चाहिए, वे अपने देश में योगदान दें, लेकिन यदि भविष्य में कोई कठिन परिस्थिति आती है, तो भारत अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटेगा।
उन्होंने कहा, “बांग्लादेश के हिंदू समुदाय का भारत से ऐतिहासिक संबंध रहा है। 1947 में हमने जमीन का बंटवारा किया था, आबादी का नहीं। बांग्लादेश को अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।”
हिंसा का धार्मिक पहलू और अंतरराष्ट्रीय ताकतों की भूमिका
RSS नेता ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर चिंता जताई और इसे केवल राजनीतिक मुद्दा मानने से इनकार किया। उन्होंने कहा, “इसका धार्मिक पहलू भी है। हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक लंबे समय से उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं। यह उनके अस्तित्व का संकट बन गया है।”
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उन्होंने आगे दावा किया कि “बांग्लादेश में हिंदू विरोधी हिंसा को भारत विरोधी बनाने की कोशिश की जा रही है। पाकिस्तान और अमेरिकी डीप स्टेट जैसी अंतरराष्ट्रीय ताकतें इसमें भूमिका निभा रही हैं।”

भारत सरकार की प्रतिक्रिया पर संतोष
जब उनसे पूछा गया कि क्या RSS बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति पर केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया से संतुष्ट है, तो अरुण कुमार ने कहा, “यह एक सतत प्रक्रिया है। सरकार इस मुद्दे की गंभीरता को समझ रही है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे उठा रही है। जब तक सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो जाती, प्रयास जारी रहेंगे।”
शेख हसीना के मुद्दे पर RSS का रुख
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत को बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता में वापस लाने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए, तो उन्होंने कहा, “यह बांग्लादेश के लोगों का फैसला होगा। भारत को इस मामले में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है।”
संघ का आह्वान – हिंदू समुदाय के साथ खड़े हों
RSS ने सभी हिंदू संगठनों और भारत सरकार से अपील की है कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की सुरक्षा और सम्मान के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। संघ का मानना है कि भारत और बांग्लादेश का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्ता इसे एक अनदेखा करने योग्य मुद्दा नहीं बनने दे सकता।