


500 वर्षों से होली से दूरी, वजह जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान!
जब देशभर में होली की धूम होती है, रंगों की बौछार होती है और हर गली-मोहल्ला गुलाल से सराबोर होता है, ठीक उसी समय राजस्थान के सीकर जिले के नीमकाथाना क्षेत्र के 10 गांवों में होली नहीं खेली जाती। इनमें प्रमुख रूप से आगरी और गणेश्वर गांव शामिल हैं। यहां के लोगों ने करीब 500 साल से होली के रंग और होलिका दहन से पूरी तरह दूरी बना रखी है।
क्या है इसके पीछे की वजह?
दरअसल, गणेश्वर गांव में श्रद्धा का केंद्र गालव ऋषि के शिष्य बाबा रायसल और तुलसा देवी की कथा जुड़ी हुई है। मान्यता है कि तुलसा देवी का देहांत होली के दिन हुआ था। तभी से कनिनवाल गोत्र के लोग होलिका दहन को अशुभ मानते हैं और होलिका दहन देखना तक वर्जित है। यहां के लोग ना तो रंग-गुलाल उड़ाते हैं, ना ही आपस में रंग लगाते हैं।
डूडू मेला बन गया परंपरा
गणेश्वर के निवासी बाबा रायसल का राज तिलक धुलंडी के दिन हुआ था। इस वजह से गांव के लोग रंगों से दूर रहते हैं और हर साल इस दिन ‘डूडू मेला’ आयोजित किया जाता है। यहां के लोग बाबा रायसल की पूजा करते हैं और खुशहाली की कामना करते हैं।

यह परंपरा पिछले 500 सालों से लगातार निभाई जा रही है और आज भी आगरी व गणेश्वर सहित 10 गांवों में होलिका दहन और धुलंडी नहीं मनाई जाती।