राजस्थान में 65 हजार सरकारी स्कूलों के संस्था प्रधानों के लिए वित्तीय वर्ष का अंत कठिनाई लेकर आया है। उन्हें स्कूलों के लिए बिजली-पानी के बिल से लेकर टॉयलेट क्लीनर की खरीद तक का खर्च खुद वहन करना पड़ रहा है।
इस साल स्कूलों को मिलने वाली स्कूल कंपोजिट ग्रांट (CSG) का मात्र 16% हिस्सा ही जारी हुआ है। आमतौर पर यह राशि दिसंबर या जनवरी तक वितरित हो जाती है, लेकिन इस वर्ष 84% बजट अभी तक रुका हुआ है। स्कूल प्रशासन अब उधार पर निर्भर हो गए हैं, और यदि मार्च 31 तक स्थिति ठीक नहीं हुई तो पोर्टल बंद हो जाएगा, जिससे खर्च की रिपोर्टिंग में समस्या हो सकती है।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा है कि इस सप्ताह स्कूलों को फंड जारी कर दिया जाएगा। राजस्थान शिक्षक संघ ने भी तुरंत राशि जारी करने की मांग की है, जबकि शिक्षा निदेशालय के अधिकारी इसे समग्र शिक्षा अभियान (SMSA) की जिम्मेदारी बता रहे हैं।