


बीकानेर। होली का त्योहार पूरे शहर में उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में मंगलवार को हर्ष और व्यास जाति के बीच डोलची कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम लगभग 300 साल पुरानी परंपरा है, जिसे जलयुद्ध के रूप में जाना जाता है। यह आयोजन होली से पहले दोनों जातियों के बीच संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से हर साल आयोजित किया जाता है।
कार्यक्रम का विवरण: डोलची जलयुद्ध लगभग दो घंटे तक चलता है, जिसमें दोनों जातियों के लोग एक-दूसरे की पीठ पर पानी की बौछार करते हैं। पानी को इतनी जोर से फेंका जाता है कि सामने वाले की पीठ लाल हो जाती है। इसके बावजूद, आयोजन के अंत में दोनों जातियों के लोग एक-दूसरे को गले लगाते हैं और आयोजन का समापन हर्षोल्लास के साथ करते हैं।
इस कार्यक्रम के बाद गेवर निकालने और गुलाल उड़ाने की परंपरा के साथ खेल की सांकेतिक समाप्ति की घोषणा होती है।
खेल का ऐतिहासिक महत्व: 300 साल पहले, हर्ष और व्यास जाति के बीच किसी मुद्दे को लेकर विवाद हुआ था, जो तोड़फोड़ तक पहुंच गया था। इस विवाद को सुलझाने और संवादहीनता को खत्म करने के लिए यह खेल शुरू किया गया। इस आयोजन में हास्य और मजाक के माध्यम से दोनों जातियां एक-दूसरे के खिलाफ टिप्पणियां करती हैं, लेकिन इसे सकारात्मक भावना से लिया जाता है।
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खास आकर्षण: डोलची, जिसमें पीछे का हिस्सा ग्लास की तरह गोल और आगे नुकीला होता है, से पानी फेंका जाता है। युवा, बुजुर्ग और बच्चे सब इसमें भाग लेते हैं। कुछ लोग अतिरिक्त कपड़े पहनकर आते हैं, तो कुछ बिना बनियान के पूरे उत्साह के साथ भाग लेते हैं।
हर्षों के चौक पर आयोजित इस परंपरा को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। यह आयोजन आपसी वैमनस्य को खत्म कर समाज में प्रेम और सद्भाव बढ़ाने का एक अनूठा उदाहरण है।