


राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के आह्वान पर राज्य की 247 अनाज मंडियां, दाल मिल, आटा मिल और मसाला उद्योग 23 से 26 फरवरी तक हड़ताल पर हैं। बीकानेर सहित पूरे राजस्थान में अनाज मंडियों में नीलामी कार्य, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां और व्यापारिक गतिविधियां पूरी तरह बंद हैं, जिससे किसानों और आमजन को असुविधा हो रही है।
व्यापारियों ने कृषक कल्याण शुल्क (1 प्रतिशत) समाप्त करने, मंडी टैक्स की दरें समान करने और अन्य राज्यों से कृषि उपज लाने पर अतिरिक्त कर हटाने की मांग की है। उनका कहना है कि कोरोना काल में लागू कृषक कल्याण शुल्क अब किसानों और व्यापारियों पर बोझ बन चुका है और इसका वास्तविक उपयोग अन्य सरकारी योजनाओं में किया जा रहा है।

व्यापारियों की प्रमुख मांगें:
- मंडी शुल्क की एक समान दर – वर्तमान में अलग-अलग दरें (0.50%, 1%, 1.60%) लागू हैं, इसे 1% पर स्थिर करने की मांग।
- राज्य के बाहर से आने वाली कृषि जिन्सों पर अतिरिक्त कर समाप्त हो और एक देश, एक कर प्रणाली लागू हो।
- सभी कृषि जिन्सों पर आढ़त 2.25% हो, क्योंकि वर्तमान में कुछ अनाजों पर यह मात्र 1% है, जबकि आढ़तियों का खर्च 1.50% तक आता है।
- भूखंड आवंटन नीति में संशोधन – 2005 से पहले वंचित अनुज्ञापत्रधारियों को बाजार दर से 25% कम कीमत पर भूखंड आवंटित किया जाए।
- सरकारी खरीद केंद्रों में सुधार – सरकारी खरीद को अनाज मंडियों से जोड़ा जाए और तय आढ़त दरों पर भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
व्यापारियों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर जल्द विचार नहीं किया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।