



मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार शाम राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिससे राज्य में नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी को अगले 48 घंटे के भीतर मुख्यमंत्री पद के लिए नया चेहरा तय करना होगा, अन्यथा विधानसभा भंग होने और राष्ट्रपति शासन लागू होने की स्थिति बन सकती है।
BJP के सामने 12 फरवरी तक की डेडलाइन
सूत्रों के अनुसार, 12 फरवरी तक नए मुख्यमंत्री की घोषणा नहीं होने पर विधानसभा भंग हो जाएगी। दरअसल, मणिपुर विधानसभा का पिछला सत्र 12 अगस्त 2024 को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था। यदि 12 फरवरी तक विधानसभा का नया सत्र नहीं बुलाया जाता है, तो संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है, जिससे राष्ट्रपति शासन की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।
दिल्ली में BJP विधायकों की बैठक
बीजेपी हाईकमान ने मणिपुर में नई सरकार गठन की प्रक्रिया तेज कर दी है। इसके तहत बीजेपी और सहयोगी दलों के सभी विधायकों को दिल्ली बुलाया गया है, जहां पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में नए मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी नेतृत्व ने 10 कुकी विधायकों को भी इस बैठक में शामिल होने के लिए बुलाया है।
बीरेन सिंह को इस्तीफा क्यों देना पड़ा?
एन बीरेन सिंह का दूसरा कार्यकाल जातीय हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के कारण विवादों में रहा। बीजेपी के 19 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए थे, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष थोकचोम सत्यव्रत सिंह सहित कुछ मंत्री भी शामिल थे।
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इसके अलावा, कांग्रेस ने 10 फरवरी से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर ली थी। चूंकि कई बीजेपी विधायक भी बीरेन सिंह के खिलाफ थे, इस वजह से सरकार के लिए बहुमत साबित करना मुश्किल हो सकता था। इस्तीफे के बाद कांग्रेस की यह योजना विफल हो गई और बीजेपी के लिए मणिपुर में स्थिरता का संदेश देने का मौका बन गया।
क्या होगा अगला कदम?
अब सबकी नजरें BJP के अगले मुख्यमंत्री के फैसले पर टिकी हैं। अगर 12 फरवरी तक बीजेपी नया नेता नहीं चुन पाती, तो राज्य में संविधानिक संकट खड़ा हो सकता है और राष्ट्रपति शासन लागू होने की संभावना बढ़ सकती है।