



बर्थराइट सिटीजनशिप पर ट्रंप को झटका, भारतीय समुदाय को बड़ी राहत
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बर्थराइट सिटीजनशिप (जन्मसिद्ध नागरिकता) समाप्त करने के आदेश पर सिएटल की संघीय अदालत ने अनिश्चितकालीन रोक लगा दी है। इस फैसले से अमेरिका में वीज़ा पर रह रहे भारतीय छात्रों और पेशेवरों को राहत मिली है।
न्यायाधीश का सख्त रुख: “कानून खेलने की चीज़ नहीं”
न्यायाधीश जॉन कफ़नॉर ने ट्रंप के आदेश की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि संविधान से नीतिगत खेल नहीं खेला जा सकता। उन्होंने कहा, “अगर सरकार जन्मजात नागरिकता के प्रावधान में बदलाव चाहती है, तो उसे संविधान में संशोधन करना होगा।”
भारतीय समुदाय के लिए क्यों अहम है यह फैसला?
ट्रंप का आदेश उन बच्चों को नागरिकता देने से रोकता, जिनके माता-पिता स्थायी निवासी (ग्रीन कार्ड धारक) नहीं हैं। इससे विशेष रूप से H-1B, L, H-4, और F वीज़ा धारकों के परिवार प्रभावित होते। आदेश लागू होने पर:
- अस्थायी वीज़ा धारकों के अमेरिका में जन्मे बच्चों को अमेरिकी नागरिकता नहीं मिलती।
- उन्हें शिक्षा, छात्रवृत्ति और वित्तीय सहायता में नुकसान उठाना पड़ता।
- ग्रीन कार्ड बैकलॉग में फंसे अप्रवासी 21 साल की उम्र में निर्वासन के लिए मजबूर हो सकते थे।
कोर्ट का आदेश कितना प्रभावी रहेगा?
सिएटल कोर्ट का यह फैसला राष्ट्रव्यापी लागू रहेगा और मामला आगे बढ़ने तक प्रभावी रहेगा। हालांकि, अमेरिकी न्याय विभाग ने कहा है कि वे इस फैसले के खिलाफ 9वें यूएस सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स में अपील करेंगे।
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क्या यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा?
अगर 9वें सर्किट कोर्ट में यह मामला चुनौती पाता है, तो संभव है कि यह अंततः अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच जाए।
भारतीयों के लिए राहत का संकेत
ट्रंप के आदेश के खिलाफ अदालत का यह फैसला भारतीय समुदाय के लिए राहत लेकर आया है। अब देखने वाली बात होगी कि आगे की न्यायिक प्रक्रिया में यह मामला किस दिशा में जाता है।