भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली से न्यायमूर्ति शेखर यादव द्वारा दिए गए विवादित बयान पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। यह कदम उस घटना के बाद उठाया गया है जब न्यायमूर्ति यादव ने VHP के एक कार्यक्रम में मुसलमानों पर विवादास्पद टिप्पणी की थी।
जज शेखर यादव का रुख
17 दिसंबर को मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति यादव से उनकी टिप्पणी पर स्पष्टीकरण मांगा था। हालांकि, न्यायमूर्ति यादव ने माफी मांगने या बयान वापस लेने से इंकार कर दिया और अपनी बात पर अडिग रहे। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत के समक्ष रखा।
न्यायपालिका में अनुशासन की मिसाल
यह मामला 1995 के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से जुड़ा है, जिसमें न्यायाधीशों के अनुशासन और कदाचार की जांच के लिए कानूनी प्रक्रिया का प्रावधान किया गया था। इससे पहले भी बॉम्बे उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश पर वित्तीय अनियमितताओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया था।
गंभीर जांच की तैयारी
इस बार, इलाहाबाद उच्च न्यायालय से रिपोर्ट मांगने का कदम न्यायपालिका की निष्पक्षता और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए लिया गया है। यह मामला न्यायाधीशों के अनुशासनहीनता और जिम्मेदारी के महत्व को रेखांकित करता है। न्यायमूर्ति यादव का मामला अब और गहराई से जांच के दायरे में आ चुका है।