साल 2024 राजस्थान के लिए राजनीति के उतार-चढ़ाव का वर्ष साबित हुआ। कई ऐतिहासिक फैसलों और विवादित घटनाओं ने राज्य की सियासी तस्वीर बदल दी।
- 9 जिले और 3 संभाग खत्म:
भजनलाल सरकार ने गहलोत सरकार द्वारा बनाए गए 9 जिलों और 3 संभागों को समाप्त कर दिया। इससे राजस्थान में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। - पीकेसी-ईआरसीपी योजना का शिलान्यास:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान की ऐतिहासिक पीकेसी-ईआरसीपी योजना का शिलान्यास किया, जिससे जल संकट के समाधान की उम्मीद है। - राइजिंग राजस्थान समिट:
राजस्थान में राइजिंग राजस्थान समिट के दौरान 35 लाख करोड़ के एमओयू साइन हुए, जिससे उद्योग और रोजगार की संभावनाएं बढ़ीं। - सीएम काफिले में हादसा:
जयपुर में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के काफिले की दुर्घटना में 2 लोगों की मौत हो गई, जिससे प्रशासन की कार्यक्षमता पर सवाल उठे। - अजमेर दरगाह विवाद:
अजमेर दरगाह में मंदिर होने के दावे पर अदालत में याचिका स्वीकार की गई, जिससे धार्मिक और सियासी बहस छिड़ गई। - उदयपुर में राजघराने का विवाद:
उदयपुर में राजतिलक के बाद पूर्व राजघराने के सदस्यों के बीच विवाद ने सियासी हलकों में चर्चा बटोरी। - उपचुनाव में भाजपा का दबदबा:
राजस्थान के उपचुनाव में भाजपा ने 7 में से 5 सीटें जीतकर अपना प्रभाव कायम किया। - एसडीएम को थप्पड़ कांड:
विधायक नरेश मीणा द्वारा एसडीएम को थप्पड़ मारने की घटना राष्ट्रीय सुर्खियों में रही। - किरोड़ीलाल मीणा का इस्तीफा:
लोकसभा चुनाव में हार के बाद किरोड़ीलाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया, जिससे भाजपा के अंदर तनाव बढ़ गया। - लोकसभा चुनाव:
कांग्रेस और सहयोगी दलों ने 11 सीटें जीतकर भाजपा को झटका दिया। - भजनलाल सरकार का पहला बजट:
सरकार ने युवाओं, महिलाओं और किसानों के लिए योजनाएं पेश कीं। - राजस्थान के सियासी उतार-चढ़ाव:
साल 2024 ने राजस्थान की राजनीति में नई चुनौतियां और संभावनाएं पैदा कीं।
राजस्थान में 2024 को अलविदा कहते हुए 2025 की शुरुआत नए जोश और उम्मीदों के साथ हो रही है।