भारत में जीएसटी परिषद के नए फैसले ने सेकेंड हैंड कार बाजार में हलचल मचा दी है। पुरानी और इस्तेमाल की गई गाड़ियों पर जीएसटी की दर बढ़ाकर 18% कर दी गई है, जो अब पंजीकृत व्यवसायों द्वारा बेचे जाने वाले वाहनों पर लागू होगी।
आम लोगों पर इसका असर:
जो लोग जीएसटी के तहत पंजीकृत नहीं हैं और व्यक्तिगत रूप से अपनी पुरानी कारें बेचते हैं, वे इस बदलाव से प्रभावित नहीं होंगे। इसका मतलब है कि अगर आप अपनी कार किसी दूसरे व्यक्ति को बेचते हैं, तो बढ़ी हुई जीएसटी दर का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
डीलरों के लिए क्या बदला?
नए नियम के अनुसार:
- 18% जीएसटी केवल डीलरों के मार्जिन (खरीद मूल्य और बिक्री मूल्य के बीच का अंतर) पर लागू होगा।
- यदि कोई वाहन नकारात्मक मार्जिन (खरीद मूल्य से कम कीमत पर बेचा गया) पर बेचा जाता है, तो उस पर कोई जीएसटी लागू नहीं होगा।
- पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों पर भी अब 18% जीएसटी लगेगा।
वित्त मंत्री का स्पष्टीकरण:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि जीएसटी का भुगतान केवल लाभ के अंतर (मार्जिन) पर किया जाएगा। उदाहरण के लिए:
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- अगर एक वाहन 12 लाख रुपये में खरीदा गया और 9 लाख रुपये में बेचा गया, तो कोई जीएसटी लागू नहीं होगा।
- यदि वाहन 8 लाख रुपये में खरीदा गया और 9 लाख रुपये में बेचा गया, तो 1 लाख रुपये के मार्जिन पर 18% जीएसटी देय होगा।
बढ़ते सेकेंड हैंड कार बाजार पर असर:
भारत में सेकेंड हैंड कार बाजार 2022-23 में $31.33 बिलियन का था और 2027-28 तक इसके $70.48 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है।
- नई कारों की तुलना में पुरानी कारों का बाजार अधिक तेजी से बढ़ रहा है।
- मध्यम वर्ग, उच्च व्यय करने की क्षमता और व्यक्तिगत गतिशीलता की बढ़ती मांग इस क्षेत्र की वृद्धि के प्रमुख कारण हैं।
सरकार के इस कदम का उद्देश्य:
- तेजी से बढ़ते सेकेंड हैंड कार बाजार से राजस्व बढ़ाना।
- वाहनों पर कर दरों को सुव्यवस्थित करना।
निष्कर्ष:
- यह कर केवल पंजीकृत डीलरों पर लागू होगा, आम लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं।
- वाहन खरीदने और बेचने वाले व्यवसायों को मूल्य निर्धारण में बदलाव लाना होगा।
- भारत का सेकेंड हैंड कार बाजार इस बदलाव के बावजूद तेजी से बढ़ने की संभावना रखता है।
सावधानी:
अफवाहों से बचें और सही जानकारी के लिए अधिकृत स्रोतों पर भरोसा करें।