व्हाट्सएप पर वायरल मैसेज: कॉल्स और सोशल मीडिया निगरानी के दावों की जांच
आजकल सोशल मीडिया पर कुछ भी वायरल हो सकता है, और भारत में अफवाहें इतनी तेजी से फैलती हैं कि आग भी पीछे रह जाए। ऐसा ही एक मैसेज इन दिनों व्हाट्सएप पर चर्चा का विषय बना हुआ है। इस वायरल मैसेज में दावा किया गया है कि नए संचार नियमों के तहत सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और कॉल्स पर पूरी तरह नजर रखेगी। आइए जानते हैं कि इस दावे में कितनी सच्चाई है।
वायरल मैसेज में क्या कहा जा रहा है?
मैसेज में यह दावा किया गया है कि:
- सभी कॉल्स रिकॉर्ड की जाएंगी और सहेजी जाएंगी।
- व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर नजर रखी जाएगी।
- उपकरण मंत्रालय की प्रणाली से जुड़ जाएंगे।
- राजनीतिक या धार्मिक संदेश भेजना अपराध होगा, और ऐसा करने पर गिरफ्तारी हो सकती है।
सच्चाई क्या है?
यह दावा पूरी तरह अफवाह है। ऐसे कोई नए संचार नियम लागू नहीं किए गए हैं जो सभी कॉल्स को रिकॉर्ड या सोशल मीडिया पर नजर रखने की अनुमति देते हों।
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- निगरानी कानून:
भारत में किसी भी व्यक्ति की कॉल्स रिकॉर्ड करने के लिए कानूनी अनुमति जरूरी होती है। सरकार बिना वारंट किसी भी कॉल या मैसेज को ट्रैक नहीं कर सकती। - सोशल मीडिया और निजता:
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर डेटा की निगरानी एक जटिल प्रक्रिया है और इसके लिए विशेष परिस्थितियों में ही अनुमति दी जाती है। - संदेशों का दुरुपयोग:
वायरल मैसेज का मुख्य उद्देश्य डर फैलाना और लोगों को गुमराह करना है।
क्या करें?
- इस तरह के संदेशों को सच मानकर न फैलाएं।
- जानकारी की पुष्टि के लिए अधिकृत स्रोतों (सरकार की वेबसाइट, विश्वसनीय समाचार पोर्टल्स) का उपयोग करें।
- साइबर क्राइम और अफवाहों से बचने के लिए सतर्क रहें।
निष्कर्ष:
वायरल मैसेज में किया गया दावा गलत है। सरकार द्वारा ऐसा कोई नियम लागू नहीं किया गया है। अफवाहों से बचें और सतर्क रहें।