अजमेर। अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह में मंदिर होने के दावे को लेकर शुक्रवार, 20 दिसंबर को सिविल कोर्ट में दूसरी सुनवाई हुई। यह मामला हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान भारी भीड़ उमड़ी और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रही।
पेश किए गए सुबूत:
याचिकाकर्ता के वकील वरुण कुमार सिन्हा ने कोर्ट में सुबूत के तौर पर दो ऐतिहासिक किताबें प्रस्तुत कीं:
- पृथ्वीराज विजय।
- दी अजमेर हिस्ट्रीकल डिस्क्रिप्टिव।
वकील की दलील:
वरुण कुमार सिन्हा ने कोर्ट से अपील की कि सभी को अनावश्यक रूप से पक्षकार न बनाया जाए और दस्तावेजों की नकल भी न दी जाए।
अंजुमन कमेटी का पक्ष:
अंजुमन कमेटी के वकील आशीष कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए दलील दी कि जब तक सुप्रीम कोर्ट से अंतिम निर्णय नहीं आता, इस दावे की सुनवाई संभव नहीं है।
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मामले की पृष्ठभूमि:
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर दरगाह को लेकर 27 नवंबर को याचिका दायर की थी। इसमें दावा किया गया कि दरगाह परिसर में एक प्राचीन मंदिर मौजूद है। सिविल कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस भेजा था।
सुरक्षा प्रबंध:
सुनवाई के दौरान कोर्ट परिसर में भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन सतर्क है।