कानपुर: 2002 में पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार प्रदीप कुमार अब न्यायपालिका में कदम रखने जा रहे हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि वह प्रदीप कुमार को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (Additional District Judge) नियुक्त करने के लिए पत्र जारी करे।
मामला क्या था?
13 जून 2002 को एसटीएफ और मिलिट्री इंटेलिजेंस ने एक संयुक्त ऑपरेशन में प्रदीप कुमार को गिरफ्तार किया था। उस पर आरोप था कि उसने कानपुर छावनी की संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान के लिए दी थी। यह जानकारी एक अन्य व्यक्ति ‘फैजान इलाही’ के माध्यम से प्राप्त की गई थी, जो एक फोटोस्टेट की दुकान चला रहा था। हालांकि, अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में नाकाम रहा, और 2014 में प्रदीप कुमार को बरी कर दिया गया।
बरी होने के बाद का सफर
बरी होने के बाद प्रदीप ने 2016 में यूपी उच्च न्यायिक सेवा परीक्षा (UP Higher Judicial Service Exam) दी, जिसमें उन्होंने मेरिट सूची में 27वां स्थान प्राप्त किया। इसके बाद 2017 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी नियुक्ति की सिफारिश की, लेकिन राज्य सरकार ने नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया। प्रदीप ने राज्य सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, और 2019 में राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया गया।
हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने 6 दिसंबर 2024 को राज्य सरकार के आदेश को रद्द करते हुए प्रदीप कुमार को न्यायपालिका में नियुक्त करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि, “किसी अपराध का शक होना नागरिक के चरित्र पर दाग नहीं होता।”
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कड़ी मेहनत से वंचित नहीं किया जा सकता
अदालत ने आगे कहा कि प्रदीप कुमार की कड़ी मेहनत और मेहनत से हासिल की गई सफलता को नहीं छीनना चाहिए। कोर्ट ने यह भी माना कि उनकी रिहाई और उनकी मेहनत को कोई अवरोध नहीं बनना चाहिए, भले ही उन्हें किसी संदिग्ध के रूप में देखा गया हो।
इस फैसले के बाद, प्रदीप कुमार की न्यायपालिका में कदम रखने की प्रक्रिया अब जल्द ही पूरी होगी, और वह 15 जनवरी 2025 तक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के रूप में कार्यभार ग्रहण कर सकते हैं।