सात साल की उम्र में चेन्नई में विश्वनाथन आनंद को कार्लसन से हारते हुए देखकर शतरंज का सरताज बनने का सपना देखने वाले डी गुकेश ने महज 18 साल की उम्र में यह मुकाम हासिल कर लिया। कॉमिक्स और यूट्यूब वीडियो देखने के शौकीन गुकेश ने नवंबर 2013 में हुए विश्व शतरंज चैंपियनशिप से प्रेरणा ली और एक दशक की कड़ी मेहनत से दुनिया को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
29 मई, 2006 को चेन्नई में जन्मे गुकेश ने नौ साल की उम्र में एशिया चैंपियन बनकर अपनी पहचान बनाई। उन्होंने शतरंज का प्रशिक्षण विश्वनाथन आनंद की वेस्टब्रिज आनंद चेस एकेडमी से लिया। 2017 में उनके पिता ने उनकी कड़ी मेहनत के लिए अपनी डॉक्टरी की प्रैक्टिस छोड़ दी।
2022 के चेन्नई शतरंज ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीतने के बाद गुकेश ने अपनी सफलता की कहानी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने 17 साल की उम्र में फिडे कैंडिडेट खिताब जीतकर गैरी कास्परोव का 40 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा और 18 साल की उम्र में विश्व चैंपियन बन गए।
गुकेश ने अपनी कामयाबी के लिए कई विशेषज्ञों और कोचों का मार्गदर्शन लिया, जिसमें पांच बार के विश्व चैंपियन आनंद, ग्रेजगोर्ज गजेवस्की, और पैडी अप्टन जैसे विशेषज्ञ शामिल थे। उनकी रणनीति, जुनून और मेहनत ने उन्हें शतरंज की दुनिया का सबसे युवा विश्व चैंपियन बना दिया।
- Advertisement -
गुकेश को भारतीय चाट और पानीपुरी बेहद पसंद है। मलयेशिया उनकी पसंदीदा जगह है, जिसे वह धरती पर स्वर्ग कहते हैं। अपनी पसंदीदा फिल्म बाहुबली-2 और टिंकल कॉमिक्स के साथ, गुकेश ने जीवन में संतुलन बनाकर शतरंज में सफलता की नई परिभाषा गढ़ी है।