दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर-द्वितीय के परपोते की विधवा सुल्ताना बेगम की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने लाल किले पर कानूनी उत्तराधिकारी के नाते दावा किया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विभू बाखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने बेगम की अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह ढाई साल की देरी के बाद दायर की गई थी, और देरी का स्पष्टीकरण अपर्याप्त है।
क्या था मामला?
बेगम ने अपनी याचिका में दावा किया कि लाल किला उनके पूर्वज बहादुर शाह जफर-द्वितीय की संपत्ति थी, जिसे 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने जबरदस्ती छीन लिया था। उनका कहना था कि भारत सरकार इस संपत्ति पर अवैध कब्जा कर रही है और इसे उन्हें सौंपा जाए।
कोर्ट का रुख:
हाईकोर्ट ने कहा कि 150 वर्षों की अत्यधिक देरी के कारण यह याचिका अस्वीकार्य है। पहले भी, 20 दिसंबर 2021 को एकल न्यायाधीश ने इसी आधार पर याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि सुल्ताना बेगम का स्वास्थ्य और व्यक्तिगत कठिनाइयों का हवाला देरी के औचित्य के लिए पर्याप्त नहीं है।
बेगम का दावा:
बेगम ने कहा कि अंग्रेजों ने उनके परिवार को 1857 में उनकी संपत्ति से वंचित कर दिया था और बहादुर शाह जफर को निर्वासित कर दिया था। उन्होंने याचिका में केंद्र सरकार से लाल किला उन्हें सौंपने और कथित अवैध कब्जे के लिए 1857 से अब तक मुआवजे की मांग की थी।