सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव द्वारा विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यक्रम में दिए गए विवादित भाषण का स्वतः संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट से स्पष्टीकरण मांगा है। यह मामला उस वक्त सामने आया जब न्यायिक जवाबदेही और सुधार अभियान (CJAR) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर जस्टिस यादव के खिलाफ आंतरिक जांच की मांग की।
CJAR और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि जस्टिस यादव ने अपने भाषण में एक समुदाय के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया, जो न्यायिक नैतिकता और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि यह टिप्पणियां न्यायपालिका की निष्पक्षता और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाती हैं।
पत्र में यह भी आरोप लगाया गया कि जस्टिस यादव ने हिंदू संस्कृति के पक्ष में और मुस्लिम समुदाय की प्रथाओं जैसे बहुविवाह, हलाला, और ट्रिपल तलाक की आलोचना करते हुए असंतुलित बयान दिए। उनके बयान में “गाय, गीता और गंगा” को भारतीय संस्कृति की परिभाषा के रूप में प्रस्तुत किया गया, जो संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर गंभीरता दिखाते हुए हाईकोर्ट से जवाब तलब किया है। यह विवाद न्यायपालिका में नैतिकता और जवाबदेही की आवश्यकता को लेकर नई बहस छेड़ रहा है।

