आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने स्वामी केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर में हुए भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ एक प्रेस वार्ता आयोजित की। एबीवीपी ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय में फीस में भारी वृद्धि की जा रही है और प्रशासन के कुछ अधिकारी विलासिता की ओर ध्यान दे रहे हैं, जबकि छात्रों की मूलभूत सुविधाओं का सही तरीके से उपयोग नहीं किया जा रहा है।
छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय में शिक्षा और संसाधनों के दुरुपयोग की स्थिति है। प्रशासन और कुलपति पर आरोप लगाया गया कि वे अनावश्यक कार्यों पर धन खर्च कर रहे हैं, जबकि छात्रों की शिक्षा और आवश्यक संसाधनों के लिए बजट की कमी है। इसके अलावा, एबीवीपी ने यह भी आरोप लगाया कि जिन छात्रों ने विश्वविद्यालय की अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाई, उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है और उनके अभिभावकों से माफी मंगवाई जा रही है। छात्रों को यह धमकी दी जा रही है कि यदि उन्होंने अपनी शिकायतें सार्वजनिक कीं, तो उनकी डिग्री खराब कर दी जाएगी।
एबीवीपी ने यह भी बताया कि 23 दिसंबर 2023 को विश्वविद्यालय में आचार्य और सह-आचार्य के 13 पदों पर नियुक्तियां की गई हैं, जिनकी औसत उम्र 58 वर्ष है। छात्रों का आरोप है कि ये नियुक्तियां विश्वविद्यालय को नुकसान पहुंचा रही हैं और राज्य सरकार को आर्थिक चोट भी पहुंचा रही हैं। विशेष रूप से, एक ऐसे व्यक्ति को आचार्य के पद पर नियुक्त किया गया है, जिनके खिलाफ यूपीसीएआर लखनऊ में वित्तीय अनियमितताओं की जांच चल रही है और उनकी पुलिस वैरिफिकेशन भी नहीं हुई है।
एग्रीविजन के प्रांत संयोजक नवीन चौधरी ने कुलपति पर आरोप लगाते हुए कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य छात्रों की शिक्षा और शोध होना चाहिए, लेकिन कुछ प्रमुख अधिकारियों ने इसे एक व्यापारिक संस्थान में बदल दिया है। चौधरी ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय परिसर के पास औद्योगिक इकाइयों से सड़ांध मारते पानी और अपशिष्ट पदार्थों का ढेर लगा हुआ है, जिससे छात्रों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। यह सभी समस्याएं शिक्षा क्षेत्र में बढ़ते भ्रष्टाचार और प्रशासनिक गैरजिम्मेदारी की ओर इशारा करती हैं।
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इन सभी मुद्दों को लेकर एबीवीपी ने सोमवार से ज्ञापन, प्रदर्शन और आंदोलन की चेतावनी दी है। छात्रों ने कहा कि यदि उनकी मांगें समय रहते नहीं मानी जातीं और जांच कमेटियां गठित नहीं की जातीं, तो वे उग्र प्रदर्शन करेंगे और आंदोलन में विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालयों को शामिल किया जाएगा। इस आंदोलन की समस्त जिम्मेदारी विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रशासन की होगी।