भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी59 रॉकेट के जरिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का प्रोबा-3 मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह मिशन सूर्य के कोरोना का गहन अध्ययन करेगा।
क्या है प्रोबा-3 मिशन?
प्रोबा-3 (Project for Onboard Autonomy) एक डबल-सैटेलाइट मिशन है, जिसमें दो उपग्रह सूर्य के बाहरी वातावरण यानी कोरोना का अध्ययन करेंगे। ये उपग्रह सूर्यग्रहण की नकल कर, सूर्य की तेज रोशनी को ब्लॉक करेंगे ताकि वैज्ञानिक सूर्य के कोरोना का अध्ययन कर सकें। यह मिशन सूर्य के अंदरूनी और बाहरी कोरोना के बीच बने काले घेरे की संरचना और उसके तापमान का विश्लेषण करेगा।
सूर्य के कोरोना का तापमान और अध्ययन
सूर्य के कोरोना का तापमान लगभग 20 लाख डिग्री फारेनहाइट तक होता है, जो उसकी सतह से कई गुना अधिक है। वैज्ञानिकों के लिए यह रहस्य है कि ऐसा क्यों है। प्रोबा-3 मिशन का उद्देश्य इन सवालों के जवाब ढूंढना और कोरोना की गहराई से जानकारी प्राप्त करना है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग और लागत
प्रोबा-3 मिशन यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का तीसरा सोलर मिशन है। इस मिशन में स्पेन, बेल्जियम, पोलैंड, इटली और स्विट्जरलैंड की टीमें शामिल रही हैं। इसकी लागत लगभग 20 करोड़ यूरो (1,778 करोड़ रुपये) है।
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इसरो की उपलब्धि
स्पेस एजेंसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर इस ऐतिहासिक पल की जानकारी साझा की। इसरो ने कहा कि यह मिशन भारत की तकनीकी विशेषज्ञता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक है। प्रोबा-3 के सफल प्रक्षेपण के साथ, इसरो ने एक और मील का पत्थर हासिल कर लिया है।