अर्द्धवार्षिक परीक्षा शुल्क में बढ़ोतरी को लेकर निजी स्कूल संचालक और शिक्षा विभाग आमने-सामने हैं। पहले प्रति विद्यार्थी परीक्षा शुल्क 6 रुपए था, जिसे अब बढ़ाकर 20 रुपए कर दिया गया है। स्कूल संचालकों का आरोप है कि यह वृद्धि अनुचित है और इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल सकता है।
शुल्क वृद्धि का विरोध
निजी स्कूल संचालकों ने बढ़ा हुआ शुल्क देने से इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि 5 रुपए में पेपर छप सकता है, फिर भी 20 रुपए वसूलना तर्कसंगत नहीं है।
शिक्षामंत्री का बयान
शिक्षामंत्री मदन दिलावर ने शुल्क वृद्धि को सही ठहराते हुए कहा, “यह रकम उतनी ही है जितनी लोग एक दिन में गुटखा पर खर्च कर देते हैं। एक दिन गुटखा न खाने से परीक्षा शुल्क की भरपाई हो सकती है।”
परीक्षा का नया प्रारूप
इस साल परीक्षा राज्य स्तर पर आयोजित होगी, जबकि पिछले साल यह जिला स्तर पर होती थी। विभाग ने अर्द्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षा दोनों के लिए प्रति विद्यार्थी 20-20 रुपए शुल्क तय किया है, जिससे कुल 40 रुपए हो जाएंगे। निजी स्कूल संचालक इस बढ़ोतरी का विरोध कर रहे हैं।