सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें कई चुनावी सुधारों के साथ बैलेट पेपर मतदान प्रणाली को फिर से शुरू करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू और पूर्व सीएम वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी द्वारा ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोपों को उठाया था। इस पर जस्टिस विक्रम नाथ और पी.बी. वराले की पीठ ने कहा, “जब नायडू या रेड्डी हारते हैं तो कहते हैं कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई, लेकिन जब वे जीतते हैं तो कुछ नहीं कहते। इसे कैसे देखा जाए?”
पीठ ने यह भी कहा कि यह वह जगह नहीं है, जहां इस तरह की बहस की जाए। याचिकाकर्ता डॉ. के.ए. पॉल ने सुझाव दिया कि भारत को अमेरिका जैसे देशों की प्रथा अपनानी चाहिए, जो मतदान के लिए मतपत्रों का उपयोग करते हैं। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि ईवीएम लोकतंत्र के लिए खतरा है और एलन मस्क ने भी इस पर चिंता व्यक्त की है। पॉल ने यह भी मांग की कि पैसे या शराब बांटते हुए पकड़े गए उम्मीदवारों को पांच साल के लिए अयोग्य घोषित किया जाए और चुनावी भागीदारी बढ़ाने के लिए मतदाता शिक्षा, राजनीतिक दलों के वित्तपोषण की जांच और चुनावी हिंसा को रोकने के लिए नीतिगत ढांचा होना चाहिए।
बैलेट पेपर के लिए कांग्रेस का देशव्यापी अभियान
बैलेट पेपर से चुनाव की मांग को लेकर कांग्रेस ने देशव्यापी अभियान चलाने का ऐलान किया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हम भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर यह अभियान चलाएंगे। उन्होंने कहा कि ओबीसी, एससी, एसटी और कमजोर वर्गों के लोग जो वोट दे रहे हैं, उनका मत फिजूल जा रहा है। खरगे ने यह भी कहा कि अहमदाबाद में कई गोदाम हैं, जहां ईवीएम रख दी जानी चाहिए। इससे लोगों को पता चलेगा कि वे कहां खड़े हैं। उन्होंने जातीय जनगणना का मुद्दा उठाते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी जातीय जनगणना से डरते हैं और हर वर्ग को अपनी हिस्सेदारी चाहिए।
ईवीएम पर सवाल उठाते हुए एनसीपी नेता का आरोप
एनसीपी (शरद पवार) के वरिष्ठ नेता जितेंद्र अव्हाड ने महाराष्ट्र में ईवीएम पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि एक परिवार के 32 वोट थे, लेकिन सभी ने परिवार के प्रत्याशी को वोट दिया, फिर भी उन्हें जीरो वोट दिखाए गए। उन्होंने कहा कि हम अपनी हार का कारण एक ही नहीं मान सकते और ईवीएम का बड़ा मसला हो सकता है। इसके खिलाफ पूरे राज्य में आंदोलन खड़ा हो सकता है।