पंजीकृत आर्किटेक्ट्स पर भरोसा टूटा, सरकार करेगी जांच
नक्शे स्वीकृत करने और बिल्डिंग प्लान से जुड़े मामलों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। पंजीकृत आर्किटेक्ट्स ने नियम-कायदों को ताक पर रखकर अपनी जेबें भरी हैं। कहीं 40 फीट सड़क पर नक्शा स्वीकृत कर दिया गया और भवन निर्माणकर्ता को 60 फीट चौड़ी सड़क के लाभ दे दिए गए, तो कहीं टाइप डिजाइन ही बदल दी गई।
बड़े खुलासे से हड़कंप
राज्य के नगर नियोजन से जुड़े अधिकारियों के सामने इस फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद हड़कंप मच गया है। कुछ आर्किटेक्ट्स को जिम्मेदारी से हटाकर डिबार कर दिया गया है। हालांकि, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर अभी संशय बना हुआ है।
सभी स्वीकृत नक्शों की होगी जांच
सरकार ने अब प्रदेशभर के सभी स्वीकृत नक्शों और बिल्डिंग प्लान की जांच कराने की योजना बनाई है। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि किसी भी प्रकार की अनियमितता पर रोक लगाई जाए।
जिम्मेदारियों के बावजूद नहीं हो रही चेकिंग
पंजीकृत आर्किटेक्ट्स को 2500 वर्ग मीटर तक के भूखंडों पर नक्शे और बिल्डिंग प्लान स्वीकृति देने की जिम्मेदारी दी गई है। कम्पलीशन सर्टिफिकेट और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी करना भी उन्हीं के हाथ में है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इनके काम की क्रॉस चेकिंग का कोई प्रावधान नहीं है।
- Advertisement -
महत्वपूर्ण मामले:
- जयपुर: मानसरोवर और मालवीय नगर में बिल्डिंग बायलॉज के विपरीत निर्माण स्वीकृति।
- सिरसी रोड: टाइप डिजाइन में बदलाव कर स्वीकृति दी गई।
- जोधपुर: अधूरी इमारत को कम्पलीशन सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया।
सरकार इस गड़बड़ी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने और नक्शों की जांच के साथ जिम्मेदारों पर कार्रवाई की तैयारी कर रही है।

