दूरसंचार विभाग ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों जैसे म्यांमार, लाओस, कंबोडिया और वियतनाम से आने वाली धोखाधड़ी वाली अंतरराष्ट्रीय कॉल और साइबर अपराधों को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की है।
मुख्य बिंदु:
- फर्जी कनेक्शनों पर कार्रवाई:
विभाग ने इन देशों से जुड़े लगभग 4.8 लाख फर्जी मोबाइल कनेक्शनों की पहचान की। अब तक 2 लाख कनेक्शन बंद किए जा चुके हैं, और शेष 2.8 लाख नंबरों पर कार्रवाई जारी है। - मोबाइल हैंडसेट्स की पहचान:
धोखाधड़ी गतिविधियों में शामिल 6,200 मोबाइल हैंडसेट्स की पहचान कर पूरे भारत में इन्हें ब्लॉक कर दिया गया है। - अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉल रोकथाम प्रणाली:
इस प्रणाली की शुरुआत के बाद यह कार्रवाई हुई, जिससे भारत के डिजिटल और वित्तीय ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिल रही है। - साइबर फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट:
गृह मंत्रालय के साइबर फ्रॉड कोऑर्डिनेशन सेंटर ने साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायतों के आधार पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। - ‘डिजिटल अरेस्ट’ क्या है?
- यह एक नई तरह का साइबर फ्रॉड है, जिसमें स्कैमर्स खुद को सीबीआई, ईडी, या इनकम टैक्स ऑफिसर का अधिकारी बताकर लोगों को डरा-धमकाकर पैसा वसूलते हैं।
- यह फ्रॉड सोशल इंजीनियरिंग तकनीक के माध्यम से किया जाता है, जिससे लोगों को ठगों की बातों पर विश्वास हो जाता है।
सरकार का सक्रिय कदम:
इस कार्रवाई के जरिए डिजिटल धोखाधड़ी पर लगाम लगाई जा रही है, जिससे करोड़ों रुपये के नुकसान को रोका जा सकेगा। जनता से अपील है कि वे सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध कॉल या संदेश पर भरोसा न करें।

