जल जीवन मिशन से जुड़े घोटाले के मामले में अब पूर्व मंत्री सहित कई उच्चाधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मामले में एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) की लीड पर पूर्व मंत्री महेश जोशी के अलावा कई अन्य वरिष्ठ अधिकारियों जैसे वित्तीय सलाहकार, चीफ इंजीनियर, एडिशनल चीफ इंजीनियर, सुप्रिटेंडिंग इंजीनियर और एग्जीक्यूटिव इंजीनियरों के नाम शामिल हैं। एसीबी की जांच के दौरान ईमेल आईडी से मिली महत्वपूर्ण लीड के आधार पर सभी अधिकारियों की संलिप्तता का खुलासा हुआ, जो फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर टेंडर देकर भ्रष्टाचार में लिप्त थे।
इस घोटाले में जल जीवन मिशन के वित्तीय सलाहकार सुशील शर्मा, तत्कालीन चीफ इंजीनियर राम करण मीणा और दिनेश गोयल के नाम भी सामने आए हैं। इसके अतिरिक्त, एडिशनल चीफ इंजीनियर अरुण श्रीवास्तव, रमेश चंद मीणा, परितोष गुप्ता, सुप्रिटेंडिंग इंजीनियर निरिल कुमार, विकास गुप्ता, महेंद्र प्रकाश सोनी, भगवान सहाय जाजू, जितेंद्र शर्मा और एग्जीक्यूटिव इंजीनियर विशाल सक्सेना के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है।
एसीबी से मिली जानकारी के अनुसार बहरोड़ में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर मायाराम सैनी की पूछताछ में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) के कार्यों में भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी के प्रोपराइटर महेश मित्तल और फर्म मैसर्स श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी के प्रोपराइटर पदमचंद जैन ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र तैयार कर विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर विभिन्न स्थानों पर टेंडर प्राप्त किए। इन टेंडरों के वितरण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया।
एसीबी की जांच में यह भी स्पष्ट हुआ है कि फर्म मालिकों ने पीएचईडी विभाग के अधिकारियों के सहयोग से फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों का उपयोग करके टेंडर हासिल किए हैं, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा है।

