


ईरान का इसराइल पर मिसाइल हमला: क्या है असर?
मंगलवार को ईरान ने इसराइल पर दर्जनों मिसाइलें दागी, जिनमें से कुछ इसराइल के भीतर भी गिरीं। यह हमला इस साल ईरान की तरफ से इसराइल पर किया गया दूसरा हवाई हमला था, इसके पहले अप्रैल में भी ईरान ने इसी प्रकार के हमले किए थे।
ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) ने दावा किया है कि दागी गई मिसाइलों में से 90 प्रतिशत अपने लक्ष्यों पर लगीं। इसके विपरीत, इसराइल ने कहा कि अधिकांश मिसाइलों को देश में प्रवेश करने से पहले ही नष्ट कर दिया गया।
मिसाइल हमलों का प्रभाव
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ईरान के अनुसार, यह पहला मौका है जब हाइपरसोनिक मिसाइलों का उपयोग किया गया है, और आईआरजीसी के सूत्रों ने बताया कि हमले का मुख्य निशाना तीन इसराइली सैन्य ठिकाने थे। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि इसराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के मुख्यालय के करीब 1500 मीटर की दूरी पर एक गड्ढा बन गया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
हालांकि, इस हमले में इसराइल को गंभीर नुकसान होने का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला। एक मुख्य कारण यह बताया गया कि जैसे ही हमला हुआ, इसराइल के नागरिक बम शेल्टर में सुरक्षित स्थान पर चले गए। इसराइल के डॉक्टरों ने बताया कि छर्रे लगने से केवल दो लोग मामूली रूप से घायल हुए हैं। वहीं, जेरिको में एक फ़लस्तीनी व्यक्ति की मौत की भी सूचना है।
इसराइल की एयर डिफेंस प्रणाली
इस हमले के बाद, इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने इसराइल की हवाई रक्षा प्रणाली की प्रशंसा की। उन्होंने इसे दुनिया की सबसे उन्नत प्रणाली बताया, जो ईरान के हमले को विफल करने में सक्षम रही है। इसराइल के पास विभिन्न प्रकार के एयर डिफेंस सिस्टम हैं, जिनमें आयरन डोम और डेविड्स स्लिंग प्रमुख हैं।
आयरन डोम और डेविड्स स्लिंग की भूमिका

आयरन डोम कम दूरी से दागे गए रॉकेट और मिसाइलों को रोकने में सक्षम है, जबकि डेविड्स स्लिंग मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ प्रभावी है। इन दोनों प्रणालियों को आबादी वाले इलाकों के लिए खतरा बनने वाली मिसाइलों को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
एरो-2 और एरो-3: लंबी दूरी की सुरक्षा
एरो-2 और एरो-3 भी इसराइल की हवाई रक्षा प्रणालियाँ हैं, जो क्रमशः मध्यम दूरी और लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ कार्य करती हैं। एरो-3 ने हाल ही में यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा दागी गई एक मिसाइल को रोकने में सफलता पाई थी।
विश्लेषक की राय
रक्षा विशेषज्ञ राहुल बेदी के अनुसार, अगर 180 मिसाइलों के हमले के बावजूद केवल एक ही मौत की खबर आई है, तो यह इस बात का संकेत है कि इसराइल की हवाई रक्षा प्रणाली प्रभावी है। वहीं, भारतीय सेना के रिटायर्ड मेजर जनरल एसबी अस्थाना ने कहा कि कोई भी एयर डिफेंस सिस्टम पूर्णतः सुरक्षित नहीं है। उनका कहना है कि इसराइल की कई परतों वाली प्रणाली के बावजूद, अगर मिसाइलों की संख्या बढ़ जाए, तो कुछ मिसाइलें अपने लक्ष्य पर पहुंच सकती हैं।
ईरान का दावा और इसका प्रभाव
अस्थाना ने यह भी बताया कि ईरान का यह दावा कि उनकी मिसाइलों ने भारी नुकसान पहुँचाया, वास्तव में उनके प्रॉक्सी समूहों के मनोबल को बढ़ाने के लिए है। यदि ईरान कार्रवाई नहीं करता है, तो उसके प्रॉक्सी समूहों पर उसकी पकड़ कमजोर हो सकती है।