


झुंझुनू: हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद, सभापति नगमा बानो ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के आने के बाद जनता के काम ठप हो गए हैं और पिछले नौ महीनों में नगर परिषद में दलालों की संख्या में वृद्धि हुई है, जो केवल अवैध गतिविधियों में लिप्त हैं।
आज, झुंझुनू नगर परिषद की सभापति नगमा बानो ने हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद मीडिया से चर्चा की। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ की गई कार्रवाई पूरी तरह से राजनीतिक प्रेरित है। नगमा ने बताया कि वह 60 में से 53 पार्षदों के समर्थन से सभापति बनी हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि विपक्षी पार्टी लगातार चुनाव हारती आ रही है और विधानसभा उपचुनाव के नजदीक, उनके पास कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए इस तरह की गतिविधियों को अंजाम दिया गया।
नगमा ने यह भी बताया कि हाईकोर्ट ने उनके मामले में स्पष्टता प्रदान की है। उन्हें डीएलबी द्वारा पद के दुरुपयोग के आरोप में नोटिस जारी किया गया था, जिसमें दो मुख्य बिंदु शामिल थे: उनके ससुर तैयब अली द्वारा सरकारी गाड़ी का उपयोग और चुरू रोड पर बिना निर्माण स्वीकृति के व्यावसायिक परिसर का निर्माण।
उन्होंने कहा कि सत्ता परिवर्तन के बाद उनके खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से आरोप लगाए गए। नगमा ने यह भी कहा कि उनके हार से पहले ही विपक्ष ने जश्न मनाना शुरू कर दिया, जो कि स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। उनका मानना है कि सत्ता परिवर्तन के बाद अधिकारी और कर्मचारी भी दबाव में आ गए हैं।
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इसके साथ ही, झुंझुनू नगर परिषद में ऐसे लोग हावी हो गए हैं जिनका परिषद से कोई संबंध नहीं है, जिनका इशारा उन्होंने दलालों की ओर किया। नगमा बानो ने निलंबन की अटकलों के बीच भाजपा की संभावित सभापति के नामों के बारे में कहा कि उन सभी को उनका नमस्कार है।
प्रेस वार्ता में कांग्रेस के कार्यकारी जिलाध्यक्ष खलील बुडाना, उपसभापति राकेश झाझड़िया, पार्षद प्रदीप सैनी सहित बड़ी संख्या में पार्षद और कांग्रेस कार्यकर्ता उपस्थित थे।