


अजित डोभाल का अमेरिका दौरे में न रहना: एक नई बहस की शुरुआत
पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर हैं, लेकिन इस यात्रा में एक महत्वपूर्ण शख्सियत का न होना चर्चा का विषय बना हुआ है—राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल। तस्वीरों में जहां पीएम मोदी के साथ अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और अन्य उच्च अधिकारी नजर आ रहे हैं, वहीं डोभाल गायब हैं।
आमतौर पर, डोभाल पीएम मोदी के साथ अमेरिका के दौरे पर होते हैं, लेकिन इस बार उनका न होना कई सवाल उठाता है। राजनीतिक विश्लेषक संजय बारू ने ट्विटर पर लिखा, “यह शायद पहली बार है जब कोई एनएसए पीएम के साथ अमेरिका नहीं गया।”
क्यों हो रहा है चर्चा?
डोभाल का न जाना इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि हाल ही में अमेरिका में कुछ शीर्ष अधिकारियों ने खालिस्तान समर्थक नेताओं से मुलाकात की थी। इस मुलाकात को लेकर भारत में नाराजगी का माहौल है, खासकर मोदी के दौरे से पहले।
रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों ने 19 सितंबर को सिख वकीलों से मुलाकात की, जिसमें गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश पर भी चर्चा हुई। भारत सरकार ने इस मामले में जांच से जुड़े सवालों का सामना किया है।
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डोभाल के न जाने का संभावित कारण
हालांकि, अधिकारियों ने डोभाल के अमेरिका न जाने के पीछे समन के मुद्दे से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि डोभाल जम्मू-कश्मीर चुनाव और अन्य घरेलू मुद्दों के कारण यात्रा पर नहीं गए हैं। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या यह एक रणनीतिक फैसला है?
पूर्व अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका द्वारा खालिस्तान के मुद्दे पर उठाए गए कदम भारत के लिए चिंताजनक हैं। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका का यह रुख भारत के लिए एक संकेत है कि उसे अपनी सीमाएं जान लेनी चाहिए।
समापन
इस स्थिति में, डोभाल का अमेरिका न जाना न केवल भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी महत्वपूर्ण है। आगे की घटनाओं पर सभी की नजरें बनी रहेंगी।