


विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की। इसको लेकर जयशंकर ने कहा, हमने (दोनों देशों के) संबंधों की स्थिति पर चर्चा की, जो अभी सामान्य नहीं हैं। दोनों पक्षों के लोग साल 2020 से नियमित रूप से मिल रहे हैं, ताकि सैनिकों की वापसी के मुद्दे को निपटाया जा सके।
उन्होंने कहा, हमें एक ऐसा रास्ता ढूंढना होगा जिससे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का सम्मान हो और सीमा क्षेत्र में शांति सुनिश्चित हो। हम दोनों ने इस पर विचार किया और आखिर में हम जिस बात पर सहमत हुए, वह यह थी कि हम इसे भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी)से बैठक के लिए कहेंगे। जयशंकर ने कहा, दोनों पक्षों को प्रयास करने और एक ऐसा रास्ता खोजने की जरूरत है, जिसेस हम उन मुद्दों से निपट सकें जो कुछ समय से लंबित हैं।
शंघाई शिखर सम्मेलन के नतीजों के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री ने कहा, एक संगठन के रूप में एसीसीओ और भारत के दृष्टिकोण से कुल मिलाकर मेरी राय अच्छी है। ईरान बैठक में शामिल हुआ, बेलारूस बैठक में शामिल हुआ। हमने पहली बार एससीओ प्लस बैठक भी की। हमें कुछ ठोस नतीजे मिले। एक तो हमें आतंकवाद की चुनौती पर एससीओ से बहुत मजबूत समर्थन मिला है। एससीओ का प्राथमिक उद्देश्य आतंकवाद और उग्रवाद से मुकाबला करना है। हमें आज बहुत स्पष्ट रूप से आतंकवाद के सभी रूपों का मुकाबला करने के लिए समर्थ मिला है। जिसमें सीमा पार आतंकवाद, आतंक वित्तपोषण शामिल है। हमें सहयोग का एक कार्यक्रम मिला। दूसरा, नशीली दवाओं के खिलाफ रणनीति..एससीओ ताजिकिस्तान में एक नशीले पदार्थ रोधी केंद्र स्थापित कर रहा है। हम उर्जा, पर्यावरण पर सहमत हुए।

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ अपनी द्विपक्षीय बैठक के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में फंसे भारतीय का मुद्दा उठाया, विदेश मंत्री ने कहा, बिल्कुल, बहुत स्पटता और दृढ़ता से उठाया है। कई भारतीयों को रूसी सेना में सेवा में लगाया गया है, जब वे वापस आएंगे तभी हमें पूरी परिस्थितियों का पता चलेगा। लेकिन परिस्थितियां जो भी हों, हमारे लिए यह अस्वीकार्य है कि भारतीय नागरिक खुद को किसी अन्य देश की सेना में युद्ध क्षेत्र में पाए। जयशंकर ने कहा, मैंने उनसे कहा कि हम उनका सहयोग चाहते हैं और वे मित्र और भागीदार हैं। हमें कोई रास्ता निकालना होगा, जिससे ये लोग जल्द से जल्द और प्रभावी तरीके से भारत लौट सकें।