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नए आपराधिक कानून प्रणाली पूरी तरह से तकनीक पर निर्भर, शाह का दावा- तीन साल के अंदर मिलेगा न्याय

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editor Published May 27, 2024
Last updated: 2024/05/27 at 4:19 PM
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एक जुलाई से लागू होने वाले नए आपराधिक कानूनों में प्रौद्योगिकी (Technology) एक महत्वपूर्ण कारक होगी। उन्होंने कहा कि समन एसएमएस द्वारा भेजे जाएंगे, 90 फीसदी गवाह वीडियो कॉल के जरिए पेश होंगे और अदालतें प्राथमिकी दर्ज होने के तीन साल के भीतर आदेश जारी करेंगी

उन्होंने एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘मैं आपको विश्वास के साथ कह सकता हूं कि तीन साल बाद हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली दुनिया की सबसे आधुनिक आपराधिक न्याय प्रणाली होगी।’

बीते साल मिली थी मंजूरी

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नए कानूनों में देशद्रोह कानून को नए अवतार में लाया जा रहा है और इसके दोषी को उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। लोकसभा में बीती 21 दिसंबर को तीन नए आपराधिक कानूनों- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक को मंजूरी मिली थी। ये कानून मौजूदा कानूनों भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह लेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को इन कानूनों को मंजूरी दे दी थी। अब यह कानून एक जुलाई से लागू होंगे।

प्रणाली पूरी तरह से तकनीक पर आधारित

शाह ने इंटरव्यू के दौरान पहली बार नए आपराधिक कानून प्रणाली पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली लगभग पूरी तरह से तकनीक पर आधारित है। उदाहरण के लिए, सभी अदालती मामले ऑनलाइन हो जाएंगे और एफआईआर, कोर्ट डायरी और फैसले का डिजिटलीकरण किया जाएगा। पहले ही, अधिकारियों ने पिछले पांच वर्षों में देश भर में नौ करोड़ अपराधियों के फिंगरप्रिंट डाटा एकत्र किए हैं।

यह किए गए बदलाव

उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों के जरिए हम बहुत बड़े सुधार लाएंगे। कानून लागू होने के बाद 90 फीसदी लोगों को कोर्ट नहीं जाना पड़ेगा। गवाह ऑनलाइन पेश होंगे। उन्होंने आगे कहा कि इससे पहले समन को किसी के घर पर भेजना होता था। अब समन एसएमएस द्वारा भेजे जाएंगे। ऐसे कई बदलाव नए कानूनों में शामिल किए गए हैं। यही हाल आरोपपत्र का भी था। पहले आरोपपत्र का मतलब दस्तावेजों का विस्तार करना होता था, लेकिन एक बार नए कानून लागू होने के बाद आरोपपत्र को पेन ड्राइव के जरिए रखा जाएगा और इसका जवाब भी पेन ड्राइव के जरिए डिजिटल तरीके से दिया जा सकता है।

शाह ने कहा, ‘सभी मामले ऑनलाइन हो जाएंगे। एफआईआर, कोर्ट डायरी, जजमेंट को भी डिजिटल किया जाएगा। हमने उन मामलों में फॉरेंसिक साक्ष्य अनिवार्य कर दिए हैं जहां न्यूनतम सात साल की अवधि के लिए कारावास का प्रावधान है।’

अधिकारियों का प्रशिक्षण लगभग पूरा

नए कानूनों को लागू करने की तैयारी के बारे में पूछे जाने पर गृह मंत्री ने कहा कि तैयारियां तेजी से चल रही हैं और अधिकारियों का प्रशिक्षण लगभग पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि इसके लागू होने के बाद, नए आपराधिक कानूनों के तहत कोई भी प्राथमिकी दर्ज करने के दिन से तीन साल के भीतर सुप्रीम कोर्ट से आदेश प्राप्त कर सकता है।

अमित शाह ने कहा कि वह साल 2019 से तीन नए आपराधिक कानूनों पर काम कर रहे हैं। हम अदालतों और पुलिस थानों के आधुनिकीकरण की दिशा में काम कर रहे हैं। सब कुछ तकनीक की मदद से हो रहा है। तकनीक के माध्यम से कानून का आधुनिकीकरण हो रहा है।


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editor May 27, 2024
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