


आचार्य चाणक्य की गणना श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है। चाणक्य की बुद्धिमत्ता के कारण उन्हें विष्णुगुप्त व कौटिल्य भी कहा जाता था। उनके नीति शास्त्र में रिश्तों की अहमित से लेकर सफलता की राहों का भलिभांति जिक्र है। इन नीतियों का पालन करने से जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है। साथ ही जीवन को सही मार्गदर्शन भी प्राप्त होता है। वहीं चाणक्य के नीति शास्त्र में व्यक्ति की कुछ ऐसी आदतों का भी जिक्र हैं, जो उसे सफलता हासिल करने में बाधा उत्पन्न करती है।
मनुष्य का व्यवहार की उसे दूसरे व्यक्ति से अलग बनाता है। व्यवहार में सही आदतों के होने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। हालांकि, कुछ आदतें तरक्की में बाधा भी बनती है। चाणक्य का मानना है कि व्यक्ति के अंदर आलस नहीं होना चाहिए। इस आदत के चलते वह जीवन में आगे बढ़ने के अवसर गंवा देता है। साथ ही लाभ से भी वांछित रहता है। आइए अन्य आदतों के बारे में भी जान लेते हैं।
भूतकाल के बारे में सोचना
कुछ लोग भूतकाल के बारे में बार-बार विचार कर के अपना वर्तमान प्रभावित करते हैं। व्यक्ति की ये आदत उसके लिए बाधा बनती है। आचार्य चाणक्य के अनुसार, ऐसा करना बिलकुल भी उचित नहीं है। उनका मानना है कि घटनाओं के परिणाम से शिक्षा लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
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बातों को स्वीकार न करना
असफलताओं को स्वीकार न करने की आदत व्यक्ति के लिए हमेशा परेशानी की वजह बनती है। आचार्य चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति को हमेशा गलतियों से सीखना चाहिए। ऐसा करने से आप उसे दोबारा नहीं दोहराएंगे। साथ ही अपने मन में हमेशा चीजों को स्वीकार करने का भाव रखना चाहिए।

नकारात्मक विचार
जिन लोगों में नेगेटिव विचार करने की आदत होती हैं, वह आगे नहीं बढ़ पाते। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि, मन में नकारात्मक विचार को न आने दें। ये विचार आपके ऊपर हावी होने लगते हैं, जो बाद में आपके बनते काम भी बिगाड़ सकते हैं।
आत्मविश्वास की कमी
आचार्य चाणक्य के अनुसार, हर बात पर दूसरों से माफी मांगने वाले लोगों में आत्मविश्वास की कमी होती है। ऐसे लोग मन से कमजोर होते हैं। उनका मानना है कि व्यक्ति में हमेशा चीजों के प्रति आत्मविश्वास होना चाहिए। इससे समाज में भी मान-सम्मान बना रहता है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये खबर लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए ख़बर 21 उत्तरदायी नहीं है