


Khabar 21 । यदि आपका बच्चा मोबाइल पर ऑनलाइन गेमिंग का आदी बनता जा रहा है तो ध्यान देने की जरूरत है। आजकल देश-विदेश में बैठे साइबर अपराधी ऑनलाइन गेमिंग में लुभावने ऑफर देकर बच्चों के जरिए बड़ों के बैंक खातों को निशाना बना रहे हैं।
यदि आपका बच्चा मोबाइल पर ऑनलाइन गेमिंग का आदी बनता जा रहा है तो ध्यान देने की जरूरत है। आजकल देश- विदेश में बैठे साइबर अपराधी ऑनलाइन गेमिंग में लुभावने ऑफर देकर बच्चों के जरिए बड़ों के बैंक खातों को निशाना बना रहे हैं।
मोबाइल पर रमी, पबजी, फाइटिंग गेम्स सहित कई ऐसे गेम्स हैं, जो बच्चों को जीतने पर भारी-भरकम पुरस्कार देने की बात करते हैं। बच्चों को पहले तो इन गेम्स की लत ल जाती है। बाद में वह अच्छे हथियार के लालच और पॉइंट्स अर्न करने के लिए इन्हें खरीदने को अपने माता-पिता का बैंक खाता उपयोग में लेते हैं। ऐसे में सायबर अपराधी बच्चों को आसानी से अपना निशाना बना लेते हैं। वहीं गेम्स के आदी होने पर बच्चों को इन गेम्स से दूर करना भी आसान नहीं होता और उनमें चिड़चिड़ापन, तनाव, गुस्सा आदि समस्याएं पैदा हो जाती हैं।

गेमिंग से इस तरह होता है सायबर अपराध
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एक्सपर्ट के अनुसार जब भी हम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से पेमेंट करते हैं, तब हमारे डेबिट कार्ड अथवा क्रेडिट कार्ड का डाटा सेव हो जाता है। इन सॉफ्टवेयर में ऑनलाइन की- लॉगर्स होते हैं। ऐसे में ये डेटा वहां पर फीड हो जाता है। इससे गेमिंग एप ही नहीं बल्कि दूसरे एप से भी बैंक खाते से पैसे निकलने का खतरा हो जाता है। कई एप्स में ट्रोजन या दूसरे मैलवेयर भी होते हैं। ये फोन में इन्स्टॉल होकर आपके डेटा को चुराते हैं। ऐसे में जब बच्चे गेम के लिए किसी चीज की खरीदारी करते हैं अथवा कोई गेमिंग एप खरीदते हैं तो आपका कार्ड ऑटोमेटिक पेमेंट मोड पर आ जाता है। ऐसे में बच्चे ष्टङ्कङ्क की जानकारी होने पर आसानी से ट्रांजेक्शन को अंजाम दे देते हैं। वहीं कई बार बच्चे आपके कार्ड का पिन जानते हैं, तो भी ट्रांजैक्शन हो जाता है। ऐसे में ऑनलाइन गेमिंग के माध्यम से देश-विदेश में बैठे सायबर अपराधी लुभावने ऑफर से बच्चों को अपना निशाना बनाकर बैंक खाते साफ करते हैं।